भारत में सूचीबद्घ कंपनियों का भारत की ताजा सालाना सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 122 प्रतिशत योगदान है, जो दिसंबर 2008 से सर्वाधिक है। वर्ष 2008 में यह अनुपात करीब 150 प्रतिशत की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गया था। जून के अंत में यह अनुपात 112 प्रतिशत और मार्च के अंत में 103 प्रतिशत था। भारत का मौजूदा बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात 79 प्रतिशत के 15 वर्षीय अनुपात के मुकाबले करीब 55 प्रतिशत ज्यादा है।
बीएसई पर सूचीबद्घ करीब 3,500 कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण मंगलवार को 250 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया और यह मार्च 2020 के अंत से 120 प्रतिशत तथा चालू कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से 33 प्रतिशत ज्यादा है।
इस मौजूदा तेजी से, सभी सूचीबद्घ कंपनियों का बाजार पूंजीकरण अब दिसंबर 2019 के कोविड-पूर्व स्तर के मुकाबले करीब 61 प्रतिशत ज्यादा है। तुलनात्मक तौर पर, मौजूदा कीमतों पर भारत की सालाना जीडीपी दिसंबर 2019 की तिमाही और वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही के बीच महज 2.5 प्रतिशत ज्यादा रही। दरअसल, वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में निरंतर आधार पर सकल मूल्य वृद्घि (जीवीए) वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही के मुकाबले 7.9 प्रतिशत कम था और पिछली 14 तिमाहियों में सबसे कम था।
भारत के मौजूदा बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात ने दलाल पथ पर ऊंचे शेयर मूल्यांकन को लेकर चिंता बढ़ा दी है। पिछले 15 वर्षों में यह अनुपात औसत आधार पर करीब 79 प्रतिशत रहा, जबकि 150 प्रतिशत सर्वाधिक ऊंचा स्तर और 52.4 प्रतिशत सबसे कम रहा, जो इसने मार्च 2005 में दर्ज किया था। विश्लेषकों का कहना है कि मार्च 2020 से कई देशों में बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात में भारी तेजी आई है, क्योंकि इसे परिसंपत्ति कीमतों में तेजी आने से मदद मिली है।
तुलनात्मक तौर पर, यह अनुपात अमेरिका में मौजूदा समय में 247 प्रतिशत, जापान में 135 प्रतिशत, ब्रिटेन में 137 प्रतिशत, फ्रांस में 130 प्रतिशत और जर्मनी में 76 प्रतिशत है।