मुंबई आयकर विभाग ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के बड़े शेयर दलालों पर 500 करोड़ रुपये की वसूली का दावा करते हुए बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया है।
विभाग का कहना है कि ये दलाल बीएसई की अपनी सदस्यता के बहाने आय कर में छूट का दावा कर रहे हैं। बीएसई में तकरीबन 800 से ज्यादा शेयर दलाल हैं। इनमें से 60 फीसदी से अधिक दलाल माफी मूल्य प्रक्रिया के जरिये 1998 से कर में 25 फीसदी डेप्रीसियेशन का दावा करते हुए छूट लेते रहे हैं।
इनके दावे का आधार आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 32 (आई) है, जिसके मुताबिक बीएसई के सदस्यता कार्ड को पूंजीगत संपत्ति का दर्जा दिया गया है।
लेकिन जब 1997 में सरकार ने शेयर ब्रोकिंग कारोबार के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए इनको केवल एक वक्त के लिए कैपिटल गेन टैक्स में छूट देने की बात की थी, तब इन शेयर दलालों ने अपने सदस्यता कार्ड का कॉर्पोरेटाइजेशन किया।
जिन ब्रोकरेज इकाइयों ने छूट की मांग की है, उनमें सिटीग्रुप, फोर डाइमेन्शनल सिक्योरिटीज और बाकलीवाल सिक्योरिटीज समेत कई बड़े नाम शामिल हैं। जब 2008 में बीएसई को एक कंपनी की तरह मान्यता दी गई, तब एक्सचेंज मेंबरशिप कार्ड का अधिकतम भाव 2.25 करोड़ रुपये तक था।
फिलहाल, शेयर दलाल इस डेप्रीसियेशन का दावा करते हुए इसे अपने नफे-नुकसान के खाते में समायोजित कर रहे हैं। आयकर विभाग का कहना है कि छूट केवल संयंत्र या मशीनरी पर ही दी जा सकती है। किसी कार्ड पर नहीं जिसकी कीमत अनिश्चित होती है और जो कभी बढ़ भी सकती है।
आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि जिस शेयर दलाल ने जिस साल में भी आयकर में डेप्रीसियेशन का दावा किया है, उससे विभाग 12 फीसदी की ब्याज की दर से रकम वसूलेगा।
दूसरी ओर, शेयर दलालों का कहना है कि सदस्यता कार्ड अदृश्य संपत्ति के तहत आता है और वे लोग इसे कारोबार करने के लिए लाइसेंस की तरह इस्तेमाल करते हैं।
आयकर अधिनियम के लिहाज से शेयर दलालों का कहना है कि इस धारा के तहत लाइसेंस की तरह इस्तेमाल होने वाला कार्ड, कर में छूट देने के लिए जायज है।
आयकर विभाग कर रहा है 500 करोड़ रुपये का दावा
बीएसई की सदस्यता कार्ड के बदले छूट का दावा
विभाग का दावा केवल एक बार के लिए दी गई छूट
12 फीसदी की ब्याज दर से वसूलेगा विभाग रकम
ट्रिब्यूनल में शेयर दलालों के पक्ष में आया था फैसला