इलिक्विड स्टॉक ऑप्शन यानी बेनकदी शेयर विकल्पों में छेड़छाड़ से जुड़ी इकाइयों के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक-मुश्त निपटान योजना को लेकर अब तक कम दिलचस्पी देखी गई है। इस योजना के तहत एक-मुश्त निपटान की अवधि 1 अगस्त से 31 अक्टूबर तक है। नियामक को इस योजना के तहत 4,000 करोड़ रुपये हासिल होने की संभावना है।
सूत्रों का कहना है कि कई कंपनियां ऊंची निपटान लागत और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों से कार्रवाई के डर को देखते हुए इससे परहेज कर सकती हैं। सेबी की सामान्य कानूनी प्रक्रियाओं के तहत, इसके लिए 5-10 लाख रुपये तक का जुर्माना है। इस योजना के तहत निपटान राशि 60 लाख रुपये तक हो सकती है।
सेबी ने 27 जुलाई को उन इकाइयों के लिए निपटान का एकमुश्त अवसर दिए जाने का प्रस्ताव रखा था जिनके खिलाफ बीएसई के स्टॉक ऑप्शन सेगमेंट में 1 अप्रैल 2014 से 30 सितंबर 2015 के बीच फर्जी सौदे किए जाने के लिए कार्रवाई शुरू की गई है। कर बचाने के प्रयास में, ये इकाइयां अपने कारोबार में नुकसान होने का आरोप लगाती हैं, जिन्हें बाद में प्रतिपक्षों द्वारा समान या अगले दिन पलट दिया जाता है। यह योजना अन्य एजेंसियों (आयकर विभाग समेत) से अभियान से प्रतिरक्षा मुहैया नहीं कराती है। सूत्रों का कहना है कि सेबी ने इस योजना पर अमल के लिए अमीर निवेशकों समेत ब्रोकरों और लोगों को बड़ी तादाद में नोटिस जारी किए हैं। नियामक का मानना है कि 60 प्रतिशत इकाइयां इस योजना का लाभ उठा सकती हैं।
सेबी ने कहा है कि उसे ऐसी 21,652 इकाइयों के बारे में पता चलता है जिन्होंने 14,720 ऐसे सौदे किए जो नकदी कारोबार से संबंधित थे। उसने 567 इकाइयों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की थी। कुछ मामलों में ऑर्डर जारी किए गए जिनमें उसने 10 लाख रुपये तक के जुर्माने लगाए।
इस तरह की इकाई का प्रतिनिधित्व करने वाली एक विधि कंपनी ने कहा, ‘निपटान राशि काफी अधिक है। यह राशि अर्जित मुनाफे की तीन गुना है। योजना के बंद होने के तुरंत बाद आयकर विभाग द्वारा पूंजीगत लाभ चोरी मामले पर ध्यान दिए जाने की संभावना है और ऐसी इकाइयों को जांच का सामना करना पड़ सकता है।’
फिनसेक लॉ एडवाइजर्स में पार्टनर अनिल चौधरी ने कहा, ‘कुछ बाजार कारोबार अभी भी ऊंचे निपटान शुल्क भुगतान (जुर्माने की तुलना में) पर जोर दे सकते हैं, क्योंकि वे अपने खिलाफ जुर्माने के आदेश के अपमान से बचना चाहेंगे और दोषी ठहराए जाने से पहले ही विवाद का जल्द समाधान निकालना पसंद करेंगे। यह योजना प्रमुख कंपनियों के लिए सेबी द्वारा जारी विपरीत आदेश की वजह से अपने व्यवसाय पर पडऩे वाले नकारात्मक प्रभाव और प्रतिष्ठा के नुकसान से बचने के लिए उपयोगी।’
सेबी ने 20 अगस्त को इस योजना की बारीकियों पर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों को लेकर चिंता जताई थी। विभिन्न मानकों का हवाला देते हुए सेबी ने एक लिंक जारी किया जिसमें इकाइयां अपना पैन विवरण डालकर पात्रता और निपटान राशि का पता लगा सकती हैं।
