निफ्टी आईटी इस कैलेंडर वर्ष में शेयर बाजारों पर बेहद खराब प्रदर्शन करने वाले सूचकांकों में एक रहा है। संभावित वैश्विक मंदी की चिंताएं बढ़ने से निवेशकों को निर्यात-केंद्रित घरेलू आईटी कंपनियों के लिए मांग प्रभावित होने की आशंका सता रही है और इस वजह से सूचकांक इस साल अब तक (वाईटीडी) आधार पर 30 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुका है।
एसीई इक्विटी के आंकड़े से पता चलता है कि तुलनात्मक तौर पर निफ्टी-50 सूचकांक इस अवधि के दौरान 2.8 प्रतिशत गिरा है। सूचकांक के प्रमुख गिरने वाले शेयरों में विप्रो, टेक महिंद्रा, कोफोर्ज, और एम्फेसिस शामिल हैं जिनमें इस अवधि के दौरान 38-44 प्रतिशत के बीच गिरावट आई।
विश्लेषक अब मौजूदा बाजार अनिश्चितता के बीच इस क्षेत्र को अच्छा दांव मान रहे हैं, क्योंकि इस क्षेत्र के शेयरों में गिरावट के साथ साथ डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी से भी राहत मिल सकती है।
वैश्विक ब्रोकरेज फर्म बर्न्सटीन का कहना है, ‘रुपये से संबंधित लागत (पारिश्रमिक आदि) का कुल खर्च में करीब 40-50 प्रतिशत योगदान है। इसलिए, विनिमय दर भारतीय आईटी सेवा व्यवसाय के लिए एक महत्वपूर्ण मार्जिन वाहक बनी हुई है। डॉलर के मुकाबले रुपये में 1 प्रतिशत की गिरावट से मार्जिन में 30-35 आधार अंक और आय में 1.5-2 प्रतिशत की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है।’ वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में, आईटी उद्योग का प्रदर्शन काफी हद तक उम्मीद से कमजोर रहा और मुनाफा मार्जिन पर दबाव देखा गया तथा एट्रीशन स्तरों में सर्वाधिक तेजी दर्ज की गई।
हालांकि आईटी उद्योग ने परिचालन मुनाफा मार्जिन को सुरक्षित बनाने के लिए ऊंची कर्मचारी लागत को तर्कसंगत बनाना शुरू किया है। उदाहरण के लिए, इन्फोसिस और विप्रो ने हाल में स्टाफ बोनस बंद किया है, जबकि एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने अपनी माइक्रोसॉफ्ट परियोजना में 300 कर्मचारियों की छटनी की।
इलारा कैपिटल के विश्लेषकों का कहना है, ‘वैरिएबल भुगतान में कटौती से मार्जिन को मदद मिल सकती है। हमारे विश्लेषण के अनुसार, इसे इन्फोसिस और विप्रो के लिए परिचालन मार्जिन में 220-400 आधार अंक का इजाफा हो सकता है।’
इसके अलावा, उन्हें लार्ज-कैप आईटी कंपनियों के लिए 2023-24 में करीब 80 आधार अंक का एबिटा और कर मार्जिन सुधार आने की संभावना है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में इस क्षेत्र के विश्लेषक अपूर्व प्रसाद का भी मानना है कि इस सेक्टर का मार्जिन वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में सुधरा है, क्योंकि एट्रीशन में नरमी जैसे आपूर्ति संबंधित कारकों में सुधार की वजह से समस्याएं दूर हुई हैं।
उनका मानना है, ‘उप-अनुबंध की लागत आसान होना, इस्तेमाल में वृद्धि और मूल्य निर्धारण जैसे कारक मार्जिन सुधार के लिए महत्वपूर्ण होंगे। इस क्षेत्रपर हमारा सकारात्मक नजरिया कुछ प्रमुख वर्टिकलों पर भी केंद्रित है जो वास्तव में मजबूत दिख रहे हैं। इनमें बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा भी शामिल हैं। ‘
दीर्घावधि नजरिये से विश्लेषकों ने निवेशकों को व्यवस्थित तरीके से आईटी शेयरों में निवेश बढ़ाने का सुझाव दिया है, क्योंकि इक्विटी बाजार मौजूदा समय में समेकन की स्थिति में बने हुए हैं। जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में निवेश रणनीति के प्रमुख गौरांग शाह का कहना है, ‘12-18 महीने की अवधि को ध्यान में रखते हुए हम आईटी सेक्टर पर सकारात्मक बने हुए हैं, क्योंकि इसमें बड़ी गिरावट आई है जिससे मूल्यांकन आकर्षक हो गया है।’
