भारत के बेहद मूल्यवान व्यावसायिक घराने अदाणी समूह से जुड़ी दो कंपनियां निफ्टी-50 सूचकांक में शामिल हैं। हालांकि इस समूह का सेंसेक्स में प्रतिनिधित्व नहीं है। यदि प्रस्तावित सूचकांक की पात्रता के नियम में बदलाव को मंजूरी मिलती है तो समूह के लिए राह आसान हो सकती है।
पिछले सप्ताह, एसऐंडपी डाउ जोंस इंडेक्स और बीएसई के बीच संयुक्त उपक्रम एशिया इंडेक्स ने एक परामर्श पत्र जारी किया था जिसमें प्रस्ताव रखा गया था कि सेंसेक्स में शामिल होने की पात्रता के लिए शेयर को डेरिवेटिव अनुबंध से जुड़ा होना चाहिए।
मौजूदा समय में, सेंसेक्स के शेयरों का कम से कम 90 प्रतिशत हिस्सा डेरिवेटिव कारोबार से जुड़ा हुआ है। इससे उस शेयर के लिए सूचकांक में शामिल किए जाने की गुंजाइश बनी रहेगी जो बाजार के वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट का हिस्सा नहीं है। इससे बड़े आईपीओ को सूचकांक में तेजी से जगह बनाने में मदद मिलती, क्योंकि कंपनी को सबसे पहले डेरिवेटिव सेगमेंट में शामिल होने का इंतजार नहीं करना पड़ता है।
यदि प्रस्तावित बदलाव स्वीकार किए जाते हैं तो अदाणी समूह की ज्यादातर कंपनियां (जिनके सेंसेक्स में शामिल होने की संभावना है) प्रभावित हो सकती हैं। स्मार्टकर्म का प्रकाशन करने वाली पेरिस्कोप एनालिटिक्स के विश्लेषक ब्रायन फ्रीटास का कहना है कि अदाणी समूह की कई कंपनियों के सूचकांक में शामिल होने की संभावना है और वे एफऐंडओ बाजार का हिस्सा नहीं हैं।
सेंसेक्स में फेरबदल दिसंबर में होना है। लेकिन कौन से शेयरों को हटाना या जोड़ना है, इस बारे में समीक्षा अवधि 1 अक्टूबर को समाप्त हो रही है। ताजा आंकड़े के अनुसार, डॉ. रेड्डीज को इस सूचकांक से बाहर किए जाने की संभावना है। वहीं अदाणी ट्रांसमिशन, टाटा मोटर्स, अदाणी टोटाल गैस, अदाणी ग्रीन एनर्जी और अदाणी एंटरप्राइजेज को शामिल किया जा सकता है। इन पांच में से सिर्फ टाटा मोटर्स और अदाणी एंटरप्राइजेज ही बीएसई के एफऐंडओ सेगमेंट में शामिल हैं।
ऐसा नियम क्यों
बीएसई का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी एनएसई पहले ही किसी शेयर को शामिल करने के संदर्भ में डेरिवेटिव संबंधी नियम पर अमल कर रहा है। निफ्टी-50 की सभी कंपनियां उसके डेरिवेटिव सेगमेंट में शामिल होंगी। विश्लेषकों का कहना है कि यह निवेशकों और पूंजी प्रबंधकों के लिए फायदेमंद है।
फ्रीटास का कहना है, ‘गैर-एफऐंडओ शेयरों को शामिल करने से उन पोर्टफोलियो प्रबंधकों के लिए समस्या पैदा हो सकती है जो सूचकांक में निवेश के लिए डेरिवेटिव का इस्तेमाल करते हैं और इससे शेयरों में कारोबारी सीमा घट/बढ़ जाएगी जिससे इन प्रबंधकों के लिए कारोबार पर नजर रखना मुश्किल हो जाएगा।’
एशिया इंडेक्स द्वारा परामर्श पत्र के लिए प्रतिक्रियाएं 4 नवंबर तक भेजी जा सकती हैं।