विश्लेषकों का मानना है कि सख्त तरलता हालात और वृद्धि के बजाय नकदी प्रवाह पर ध्यान केंद्रित करने से नए जाने की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों में समेकन को बढ़ावा मिलेगा। उनका कहना है कि सख्त तरलता से इन कंपनियों ने वृद्धि के साथसाथ नकदी संरक्षण पर जोर दिया है, क्योंकि उनके लिए प्रतिस्पर्धा में डटे रहना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।
जितिन जॉन और कुणाल शाह द्वारा मिलकर तैयार की गई रिपोर्ट में जेफरीज के विवेक महेश्वरी ने लिखा है, ‘अत्यधिक तरलता से बुलबुले जैसी स्थिति पैदा हुई है और कई व्यवसायी मुनाफे की राह में चुनौती का सामना कर रहे हैं। मौजूदा हालात बड़ी कंपनियों में जरूरी तर्कशक्ति लाएंगे, जिनमें पारंपरिक कंपनियां भी शामिल हैं। हालांकि वृहद परिवेश ने विलय एवं अधिग्रहण अवसर के जरिये समेकन को बढ़ावा दिया है।’
पूंजी की लागत में वृद्धि का असर पिछले कुछ महीनों के दौरान दुनियाभर में संबद्ध शेयरों पर पहले ही दिख चुका है। जेफरीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2021 तक शानदार वैल्यू के बाद, एसऐंडपी ग्रोथ इंडेक्स ने पिछले 6 महीनों से कमजोर प्रदर्शन किया है, क्योंकि इसे पूंजी की लागत बढ़ने (बॉन्ड प्रतिफल) से बढ़ावा मिला है। नैस्डैक अपने ऊंचे स्तरों से करीब 30 प्रतिशत गिर चुका है, फेसबुक, ऐपल, एन्वीडिया कॉरपोरेशन, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन, एमेजॉन डॉटकॉम और नेटफ्लिक्स, इंक. को फेंगमैन शेयरों के तौर पर लोकप्रिय माना जाता है और उनमें भी 20-70 प्रतिशत के बीच कमजोरी आई है।
एसीई इक्विटी डेटा के अनुसार, घरेलू संदर्भ में बात की जाए तो पता चलता है कि हाल में सूचीबद्ध नए जमाने की कंपनियों – जोमैटो, पेटीएम, नजारा टेक्नोलॉजीज, इंडियामार्ट और पॉलिसीबाजार को इस वैश्विक गिरावट के दौर में कमजोरी का सामना करना पड़ा है और इन शेयरों में कैलेंडर वर्ष 2022 की पहली छमाही में अब तक 37-59 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। तुलनात्मक तौर पर, बीएसई के सेंसेक्स में करीब 9 प्रतिशत, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में इस अवधि के दौरान करीब 12 और 15 प्रतिशत की गिरावट आई है। जहां वेलेंटिस एडवायजर्स के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक ज्योतिवर्द्धन जयपुरिया का कहना है कि ब्याज दरों में वृद्धि से भारतीय उद्योग जगत प्रभावित होगा, वहीं वे इस संदर्भ में नए जमाने की कंपनियों को लेकर ज्यादा चिंतित हैं।
जेफरीज के अनुसार, अस्थिर तरलता हालात की वजह से कंपनियों को मुनाफे पर ध्यान देने के लिए कोशिश तेज करनी पड़ी है। उदाहरण के लिए, जोमैटो का प्रबंधन इसे लेकर स्पष्ट है कि शेयरधारक क्या उम्मीद रखते हैं और वृद्धि और मुनाफे पर कठिन परिश्रम से किस हद तक मदद मिलेगी। आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर का भी मानना है कि इस उद्योग में समेकन बढ़ेगा, क्योंकि पूंजी की लागत बढ़ी है और कोष उगाही में कमी आई है।
