बाजार में कंपनियों की सूचीबद्ध प्रक्रिया में रुकावट आ गई है। पिछले महीने, जो जुलाई 2022 के बाद से सुस्त अवधि वाला पहला महीना था, आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों और अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गमों (एफपीओ) से एक भी पैसा नहीं जुटाया गया है।
निवेश बैंकरों का कहना है कि बाजार के उतार-चढ़ाव में तेजी, दुनिया के अन्य बाजारों की तुलना में भारत का कमजोर प्रदर्शन और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा निरंतर बिकवाली ने शेयरों की बिक्री को मुश्किल कर दिया।
आम तौर पर कंपनियां आम बजट से पहले शेयरों की बिक्री निपटाने की योजना बनाती हैं। लेकिन अदाणी समूह की प्रमुख फर्म को छोड़कर ज्यादातर कंपनियों ने इससे दूरी बनाई है।
अदाणी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ, जो 31 जनवरी को बंद हुआ, पूर्ण सदस्यता हासिल करने में कामयाब रहा। हालांकि इसने अपने ‘ग्राहकों के हितों’ में निर्गम वापस ले लिया।
अमेरिका की शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट जारी होने के बाद बाजार में अदाणी समूह के शेयरों में बड़े पैमाने पर गिरावट के बीच यह असाधारण घटनाक्रम सामने आया। इस रिपोर्ट में समूह पर शेयर में हेरफेर और अकाउंटिंग में धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था।
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विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकरण ने प्राथमिक बाजार का मिजाज बिगाड़ दिया। उन्हें उम्मीद है कि जब तक द्वितीयक बाजार की रफ्तार सकारात्मक नहीं हो जाती है और एफपीआई प्रवाह में सुधार नहीं होता है, तब तक गतिविधि सुस्त रहेगी।