पेटीएम की कमजोर आईपीओ पेशकश और उसके बाद सूचीबद्घता को लेकर निराशा इस साल बाजार में नए निर्गमों की रफ्तार पर विराम लगाने में नाकाम रही है।
पेटीएम की पैतृक वन97 कम्युनिकेशंस का आईपीओ 8 नवंबर को बाजार में आया था और उसे पेशकश पर 1.89 गुना अभिदान मिला था। क्यूआईबी श्रेणी को 2.79 गुना, जबकि रिटेल श्रेणी को महज 1.66 गुना आवेदन मिले थे। वहीं अमीर निवेशकों के लिए आरक्षित श्रेणी को भी संपूर्ण अभिदान नहीं मिला था।
कंपनी बाद में स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्घ हो गई, लेकिन पहले ही दिन उसका शेयर 2,150 के निर्गम भाव से 27 प्रतिशत गिर गया। इससे बाजार में इस धारणा को बढ़ावा मिला कि आईपीओ बाजार मंदी की गिरफ्त में है।
पेटीएम की पेशकश के बाद करीब 14 कंपनियां बाजार में आईपीओ लेकर आई हैं। इन 14 में से 10 को पांच गुना से ज्यादा का अभिदान मिला है और आठ को दो अंक में अभिदान मिला है। शेयर बाजारों पर सूचीबद्घ हुईं 11 कंपनियों में से 6 ने पहले दिन दो अंक में तेजी दर्ज की, जबकि तीन में गिरावट दर्ज की गई। बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए यह कमजोर प्रदर्शन पिछले कुछ सप्ताहों में दर्ज किया गया है। बीएसई का सेंसेक्स 10 नवंबर से 4.8 प्रतिशत गिरा है। 10 नवंबर पेटीएम के आईपीओ का आखिरी दिन था।
2021 में 63 कंपनियों ने अब तक आईपीओ के जरिये 1.19 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। नए जमाने के नुकसान में चल रहे टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के आईपीओ, मजबूत रिटेल भागीदारी और मजबूत सूचीबद्घता बढ़त इस साल आईपीओ तेजी को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारक रहे।
छोटे निवेशकों से आवेदनों की औसत संख्या 14.3 लाख थी, जबकि 2020 में यह 12.8 लाख
और 2019 में 4 लाख थी। बाजार में आए 63 में से 25 आईपीओ पीई/वीसी निवेश से पूर्व थे और 2021 में आईपीओ से ताजा कोष उगाही की मात्रा 43,324 करोड़ रुपये थी, जो पिछले आठ संयुक्त वर्षों के मुकाबले काफी ज्यादा थी।
2022 में आईपीओ का परिदृश्य आशाजनक दिख रहा है और 35 कंपनियां करीब 50,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार नियामक सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। अन्य 33 कंपनियां अगले साल 60,000 करोउ़ रुपये जुटाने के लिए नियामक की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। एलआईसी का आईपीओ अगले साल पेश किया जा सकता है, जिसके जरिये करीब 1 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाने की संभावना है।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘मूल्यांकन एक प्रमुख चिंता है, खासकर नए जमाने की कंपनियों के लिए, और इन कंपनियों द्वारा कुछ हद तक पुनर्विचार किया जा सकता है। ग्रे बाजार के प्रीमियम भी कुछ गिरावट का संकेत देते हैं।’
हल्दिया के अनुसार, ‘मुद्रास्फीति संबंधित चिंताओं से दर वृद्घि की आशंका जताई जा सकती है जिससे तरलता उपलब्धता में कमी आएगी। इसके अलावा इस पर भी नजर रखे जाने की जरूरत होगी कि ओमिक्रॉन वैरिएंट का सेकंडरी बाजार और फिर प्राथमिक बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा।’
