जेफरीज में इक्विटी स्ट्रेटेजी के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने निवेशकों के लिए अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट ‘ग्रीड ऐंड फियर’ में चेतावनी दी है कि निवेशकों को 1980 के दशक के बाद से सबसे बड़े मुद्रास्फीति संकट के लिए तैयार रहना चाहिए।
वुड ने कहा है, ‘अब निवेशकों को 1980 के बाद से सबसे बड़े मुद्रास्फीति बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए और इसका इंतजार करना चाहिए कि इस पर अमेरिकी फेडरल कैसा रुख अपनाता है। इस बीच, इस तरह के बड़े बदलाव से पहले बॉन्डों में और ज्यादा बिकवाली तथा चक्रीयता आधारित शेयरों में और तेजी की संभावना है।’
उनका यह भी मानना है कि यदि मुद्रास्फीति तेजी दीर्घावधि आधार पर लौटती है तो इसका मतलब होगा कि इक्विटी और बॉन्डों का सकारात्मक कौर पर गिरावट के साथ सह-संबद्घ होगा। मुद्रास्फीति चिंता फिर से लौटने से जिंस कीमतों, खासकर तेल में फिर से तेजी से बढ़ावा मिला है। तेल अपने 13 मार्च के 35 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से चढ़कर अब 70 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। तांबा जैसी अन्य प्रमुख जिंसों की कीमतें दशक की ऊंचाई पर मंडरा रही हैं, जबकि खाद्य कीमतों में भी पिछले कुछ महीनों से तेजी का रुझान बना हुआ है।
बाजारों पर इन घटनाक्रम का असर दिखा है और उनमें उसी के अनुसार प्रतिक्रिया दिखी है। पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान खासकर अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढऩे से वैश्विक इक्विटी बाजरों में बेचैनी पैदा हुई। राष्ट्रपति जो बाइडन के 1.9 लाख करोड़ डॉलर के राहत पैकेज को लेकर वैश्विक इक्विटी बाजारों में खलबली देखी गई। इस पैकेज में अमेरिकियों को 1,400 डॉलर का प्रत्यक्ष भुगतान के लिए 400 अरब डॉलर प्रदान करने, 350 अरब डॉलर को मंजूरी राज्य और स्थानीय सरकारों को मुहैया कराने और चाइल्ड टैक्स क्रेडिट के विस्तार तथा कोविड-19 टीका वितरण के लिए फंडिंग के तौर पर गई है।
नोमुरा के विश्लेषकों ने भी वुड के नजरिये पर सहमति जताई है और मुद्रास्फीतिकारी दबाव तेज होने की आशंका जताई है।उनका मानना है कि इस संबंध में हाल के महीनों में आई तेजी खासकर ऊंची तेल कीमतों की वजह से थी। उनका मानना है कि वे अभी भी मुद्रास्फीति का आकलन कर रहे हैं और भविष्य में अपने अनुमानों में संशोधन करेंगे।
नोमुरा में मैनेजिंग पार्टनर एवं मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने 5 मार्च को रेबेका वांग के साथ मिलकर तैयार की गई अपनी रिपोर्ट में लिखा, हम चार प्रमुख कारक देख रहे हैं जिनसे मुख्य मुद्रास्फीति दर बढऩे की संभावना है : आधार प्रभाव, सरकारी नीतियां, जिंसों में तेजी और मांग पर दबाव।
