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  बाजार  निवेशकों को इक्विटी फंडों में बने रहना चाहिए
बाजार

निवेशकों को इक्विटी फंडों में बने रहना चाहिए

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता | नई दिल्ली—August 22, 2022 11:51 AM IST0
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यूटीआई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी वेट्री सुब्रमण्यम ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि अपने ताजा निचले स्तरों से बाजार में तेजी आने के बाद वह निवेश से जुड़े रहने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि उनका मानना है कि बाजार में निश्चितता नहीं बल्कि संभावनाओं के साथ निवेश करने का समय है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश: 

वैश्विक इक्विटी बाजार बड़ी गिरावट के लिहाज से कितने मजबूत हैं?
भूराजीतिक जोखिम को लेकर हालात का अंदाजा आज कभी नहीं लगा सकते कि यह कब और कहां पैदा हो जाए। निवेशकों के लिए यह समझना उपयुक्त है कि ऐसे खतरे बने रहेंगे। जिंस कीमतों में तेजी थमी है और  बढ़ती ब्याज दरों से वृद्धि पर दबाव पड़ा है। बाजार अनिश्चित हुए हैं, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरें बढ़ाने के लिए बाध्य हुआ है, और इससे नीतिगत जोखिम भी बढ़ा है। निवेशकों को मूल्यांकन को निर्धारक जोखिम समझना चाहिए और घटनाक्रम के बजाय निवेश आवंटन पर ध्यान देना चाहिए।
 
क्या भारतीय बाजार चिंताओं से बाहर निकल चुके हैं?
मैं नहीं जानता कि बाजार अगली कुछ तिमाहियों में कैसा प्रदर्शन कर सकता है। हमारी निवेश प्रक्रिया बाजार की दिशा के अनुमानों पर निर्भर नहीं है। परिसंपत्ति आवंटन नजरिये से, मूल्यांकन मापक सही दायरे में हैं, भले ही ये ताजा तेजी के बाद कम आकर्षक रह गए हैं। भारत के आर्थिक वृहद मानक भी उपयुक्त दायरे में हैं, और हमें अन्य विकासशील/विकसित देशों के मुकाबले कम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
हमें मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षात्मक रुख अपनाना चाहिए, जो लक्षित दायरे से बाहर है, जबकि वित्तीय अनुशासन को बरकरार रखना चाहिए। मौजूदा खालू खाते का घाटा चिंता का विषय है, लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार, कम विदेशी कर्ज, और आरबीआई के सक्रिय कदम जोखिम कम करने में मदद कर रहे हैं।
 
मौजूदा समय में कौन से क्षेत्र/शेयर आकर्षक लग रहे हैं? 
मूल्यांकन आकर्षक होने से, निवेशक इक्विटी फंडों में निवेश बरकरार रख सकते हैं। मैं अस्थिरता के दौर में निवेश की सलाह दूंगा, क्योंकि हम निश्चितता नहीं बल्कि संभावनाओं के साथ आगे बढ़ रहे हैं। यह समय ऐसे मूल्यांकन के साथ परिसंपत्ति आवंटन में तेजी दिखाने का है, जो काफी ऊपर है। मूल्यांकन और विकास परिदृश्य पर ध्यान देते हुए मैं बैंकिंग, वाहन, और फार्मा क्षेत्रों को आकर्षक मान रहा हूं। 
 
अब तक आपकी रणनीति क्या रही है?
हमारी सभी रणनीतियां यूटीआई स्कोर अल्फा नाम की हमारी निवेश प्रक्रिया से समर्थित रही हैं। प्रत्येक रणनीति कुछ सीमाओं से जुड़ी होती हैं जो उसकी धारणा को परिभाषित करती हैं। 
 
ऐसी कौन सी निवेश रणनीति है जिसने इस साल अब तक आपके लिए कारगर तरीके से काम किया है?
बड़ा नकारात्मक बदलाव सोने के प्रदर्शन से जुड़ा होगा। वैश्विक मुद्रास्फीति बढ़ने से कीमत प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। रुपये के संदर्भ में, सोने से प्रतिफल रुपये की वैल्यू घटने से बढ़ा और इस वजह से इस धातु में भारतीय निवेशकों ने पिछले साल के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया। यूटीआई ट्रांसपोर्टेशन ऐंड लॉजिस्टिक्स फंड ने इस साल बेहतर प्रदर्शन किया है। हम 2021 के आखिर में इस फंड को लेकर सकारात्मक थे, क्योंकि इसका मूल्यांकन भी अच्छा हो गया था।
 
आपके पास कितनी नकदी (सभी पोर्टफोलियो से संबंधित) मौजूद है?
पोर्टफोलियो के लिए बदलाव कुछ खास शेयरों और क्षेत्रों के मूल्यांकन पर आधारित हैं। बाजार अनुमान निवेश प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं, और इसका असर उद्योग के मुकाबले रणनीतियों में हमारे कम पोर्टफोलियो कारोबार अनुपात के तौर पर दिखा है। हम बाजार में उतार-चढ़ाव का मुकाबला करने के लिए नकदी इस्तेमाल नहीं करते। सक्रिय तौर पर प्रबंधित इक्विटी योजनाओं में हमारी नकदी स्थिति अक्सर 1-3 प्रतिशत के बेहतर सख्त दायरे में है। हम मल्टी-ऐसेट स्कीम का प्रबंधन करते हैं, जिसमें परिसंपत्ति आवंटन का निर्धारण मूल्यांकन से होता है। इस फंड का दिसंबर 2021 में करीब 43-45 प्रतिशत का इक्विटी अनुपात रहा। वहीं बाजार गिरावट के बाद जून के मध्य में यह बढ़कर करीब 68 प्रतिशत हो गया। ताजा तेजी की वजह से, इस मॉडल के तहत अगस्त में इक्विटी एक्सपोजर घटकर 57.5 प्रतिशत रह गया। 
 
विदेशी निवेश प्रवाह पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
भारत ने हमेशा से अच्छी गुणवत्ता और आकर्षक अवसरों की उपलब्धता की वजह से दीर्घावधि निवेशकों से मजबूत पूंजी प्रवाह आकर्षित किया है। ऐसे प्रवाह पर मध्यावधि से दीर्घावधि में दबदबा रहेगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों के बीच भारत का आकर्षण मूल्यांकन की वजह से फीका पड़ा है, लेकिन यह स्व-समायोजन संबंधित बदलाव है। इसका असर निजी इक्विटी फंडों से प्रवाह के बढ़ते रुझान में और भारत के स्टार्टअप उद्यमों में उद्यम पूंजीपतियों के प्रवाह में दिखा है। 
 

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