पिछले कुछ दिनों में भारतीय इक्विटी बाजारों ने काफी उतारचढ़ाव का सामना किया है क्योंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) लगातार देसी बाजारों से निवेश की निकासी कर रहे हैं। म्युचुअल फंड उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए मल्टीकैप या फ्लेक्सीकैप फंडों में निवेश के जरिये इक्विटी बाजारों में दोबारा उतरने का यह सही वक्त है।
वैश्विक स्तर पर महंगाई की बढ़ती चिंता और भूराजनीतिक तनाव से निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं, ऐसे में दुनिया भर के शेयर बाजारों में तेज गिरावट देखने को मिली है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और विदेशी संस्थागत निवेशकों की तरफ से लगातार हो रही बिकवाली भारतीय बाजारों में उतारचढ़ाव में इजाफा कर रही है।
पिछले तीन महीने में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स करीब 5 फीसदी टूटा है, वहीं एसऐंडपी बीएसई मिडकैप इंडेक्स और एसऐंडपी बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स पर भी क्रमश: 3.62 फीसदी व 5.16 फीसदी की चपत लगी है।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, हम मिडकैप व स्मॉलकैप फंडों को लेकर मध्यम से लंबी अवधि में सकारात्मक बने हुए हैं, लेकिन निवेशकों को इन फंडों को लेकर सतर्कता बरतने की दरकार है क्योंंकि इस सेगमेंट में उतारचढ़ाव ज्यादा रहने की आशंका है। मल्टीकैप या फ्लेक्सीकैप फंड मौजूदा माहौल में ज्यादातर निवेशकों के लिए बेहतर है।
उद्योग के भागीदारों ने भी कहा कि भारतीय इक्विटी बाजारों के मौजूदा हालात को देखते हुए फ्लेक्सीकैप व मल्टीकैप फंड पोर्टफोलियो में मददगार हो सकते हैं क्योंकि फंड मैनेजर अपने-अपने आउटलुक के आधार पर हर तरह के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों में रकम लगा सकते हैं।
मल्टीकैप योजनाओं को अपने फंडों का कम से कम 25-25 फीसदी लार्ज, मिड और स्मॉलकैप शेयरों में लगाना होता है। बाजार के भागीदारों ने कहा कि हर तरह के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों में बिशाखन से यह सुनिश्चित होता है कि पोर्टफोलियो किसी खास बाजार पूंजीकरण वाली फर्मों की तरफ बहुत ज्यादा संकेंद्रित नहीं है।
पिछले कुछ महीनों से फ्लेक्सीकैप व मल्टीकैप फंड मांग में हैं क्योंंकि यह निवेशकों को एक ही फंड मेंं सभी श्रेणियों के शेयर मुहैया कराता है। पिछले छह महीने में मल्टीकैप व फ्लैक्सीकैप फंडों में क्रमश: 22,433 करोड़ रुपये व 15,140 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ है।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि फ्लेक्सीकैप व मल्टीकैप फंडों ने पिछले एक साल में औसतन 21.23 फीसदी व 28.50 फीसदी का रिटर्न दिया है। दूसरी ओर, लार्जकैप फंडों ने पिछले एक साल में औसतन 20.17 फीसदी रिटर्न दिया है।
क्वांटम एमएफ के इक्विटी फंड मैनेजर सौरभ गुप्ता ने कहा, भूराजनीतिक चुनौतियां, महंगाई, बढ़ती ब्याज दरें, कुछ इलाकों में कोविड के मामले फिर से आने और प्रीमियम मूल्यांकन ने इक्विटी को अल्पावधि के लिहाज से कुछ हद तक दिशाहीन बना दिया है। हालांकि निवेशकों के लिए यह समय अपनी निवेश यात्रा बनाए रखने की है ताकि वे अपने वित्तीय लक्ष्य हासिल कर सकें। इक्विटी निवेशकों को एक अवधि के लिए इक्विटी में आवंटन टुकड़ों मेंं बांट देना चाहिए।
