वैश्विक निवेशकों के बीच भारत मेंं निवेश की अपील काफी ज्यादा सुधरी है, जिसकी वजह कंपनियों की सुधरी हुई बैलेंस शीट, सुधार पर ध्यान, रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा भंडार और कर संग्रह की अच्छी रफ्तार है। क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट में ये बातें कही गई है। सुधरा हुई परिदृश्य अब स्पष्ट तौर पर उभरते बाजारों के मुकाबले भारत के रिकॉर्ड उच्च पीई प्रीमियम में नजर आता है। एमएससीआई इंडिया, एमएससीआई इमजिंग मार्केट के मुकाबले 12 महीने आगे के 83 फीसदी प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है जबकि 10 साल का औसत प्रीमियम 42 फीसदी रहा है। भारतीय इक्विटी ने अहम वैश्विक इक्विटी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है और पिछले महीने निफ्टी इंडेकक्स ने 5.2 फीसदी की बढ़त दर्ज की है जबकि एमएससीआई वल्र्ड का रिटर्न 1.8 फीसदी रहा है। इक्विटी का अल्पावधि का परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है, लेकिन अल्पावधि मेंं कुछ सतर्कता भी जरूरी है। ब्रोकरेज फर्म ने ये बातें कही है। ब्रोकरेज की हालिया रिपोर्ट में इंडिया इक्विटी रिसर्च के प्रमुख जितेंद्र गोहिल और इक्विटी रिसर्च विश्लेषक प्रेमल कामदार ने कहा है, ऐसा उच्च मूल्यांकन हालांकि कुछ निवेशकों को परेशान कर सकता है, लेकिन हम सुझाव देंगे कि वे इक्विटी मेंं निवेशित बने रहें, लेकिन पोर्टफोलियो के घटे हुए जोखिम के साथ। हम अब मिडकैप शेयरों के लिए अपेक्षाकृत सापेक्षित प्राथमिकता से दूर हो रहे हैं और अब रुख तटस्थता का है। हम भारतीय मेगाकैप के लिए सापेक्षित भारांक भी तटस्थ कर रहे हैं।
ऐसे मूल्यांकन को देखते हुए विश्लेषक भारतीय इक्विटी के थोड़े कमजोर प्रदर्शन की आशंका जता रहे हैं। तथापि उन्हें लगता है कि भारतीय इक्विटी उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर प्रीमियम मूल्यांकन बनाए रखेगी। अगस्त में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय इक्विटी के शुद्ध खरीदार बने हुए हैं और उनका शुद्ध निवेश 87 करोड़ डॉलर रहा है जबकि जुलाई में वे शुद्ध बिकवाल बन गए थे। एफपीआई के लिए भारत आकर्षक बना रहेगा क्योंकि इसका ढांचागत परिदृश्य सुधरा हैऔर यह अहम अर्थव्यवस्थाओं में तेज रफ्तार सेआगे बढऩे की पेशकश करता है। दूसरी ओर, देसी म्युचुअलफंडों ने लगातार पांचवें महीने निवेश हासिल किया है क्योंंकि निवेशक भारतीय इक्विटी बाजार को लेकर आशावादी बने हुए हैं।
