वैश्विक बाजारों का प्रदर्शन अक्सर मिलता-जुलता रहता है। लेकिन इस साल दलाल पथ ने अगस्त से कई विश्लेषकों को आश्चर्यचकित किया है। भारतीय बाजार ने अपने उभरते बाजार (ईएम) और वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। लगातार दूसरे महीने, निफ्टी ने 6 प्रतिशत अंक से ज्यादा के अंतर से एमएससीआई वल्र्ड सूचकांक, जबकि एमएससीआई ईएम को लगातार पांचवें महीने मात दी।
नियामकीय सख्ती की वजह से चीन के इक्विटी बाजार में गिरावट आई जिससे एमएससीआई ईएम सूचकांक के प्रदर्शन पर दबाव पड़ा, जिसका एक-तिहाई से ज्यादा का भारांक रहा है। एमएससीआई वल्र्ड सूचकांक पर अमेरिका, जापान, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे विकसित देशों का दबदबा है। इन सभी देशों का प्रदर्शन अगस्त से भारत के मुकाबले कमजोर रहा है।
अगस्त में, निफ्टी 8.7 प्रतिशत चढ़ा, जबकि एमएससीआई वल्र्ड और एमएससीआई ईएम में महज 2.4-2.4 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। इस महीने अब तक निफ्टी में 4 प्रतिशत से ज्यादा की मजबूती आई है, जबकि एमएससीआई वर्ल्ड और एमएससीआई ईएम सूचकांकों में 2.1 प्रतिशत तथा 3.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
वैश्विक तौर पर, निवेशकों ने चीन के एवरग्रैंड समूह में संभावित चूक, अमेरिकी फेडरल द्वारा रियायतें वापस लिए जाने और डेल्टा वैरिएंट के कारण संक्रमण में तेजी आने से पैदा हुई चिंताओं के बीच हाल के सप्ताहों में तेजी के दांव से परहेज किया है।
टीकाकरण की बढ़ती रफ्तार, मजबूत घरेलू और रिटेल प्रवाह, चीन में नियामकीय चिंताओं के कारण विदेशी प्रवाह फिर से यहां बढऩे से घरेलू बाजारों को मजबूती मिली है। साथ ही लार्ज-कैप सूचकांक शेयरों में भारी तेजी ने भी यहां निवेशकों को आकर्षित किया है।
जहां भारत का प्रदर्शन हमेशा से कई वैश्विक प्रतिस्पर्धियों का मुकाबले बेहतर रहा है, वहीं ताजा तेजी ने मूल्यांकन अंतर बढ़ा दिया है, जिससे कुछ विश्लेषक सतर्क रुख अपना रहे हैं।
जेफरीज के शोध प्रमुख एवं प्रबंध निदेशक महेश नंदुरकर ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘निफ्टी ने (डॉलर संदर्भ में) ईएम बेंचमार्कों को 90 दिन/180 दिन/365 दिन के आधार पर 19 प्रतिशत अंक (पीपीटी)/22 पीपीटी/33 पीपीटी के अंतर से मात दी। हमारे दीर्घावधि दैनिक विश्लेषणों से संकेत मिलता है कि ऐसी अवधि के मजबूत प्रदर्शन मौजूदा स्तरों के पार जाने की संभावना नहीं दिख रही है। इसके अलावा, ऐसी प्रदर्शन अवधियों पर सामान्य तौर पर भारत द्वारा 90, 180 और 365 दिनों के औसत पर 11 पीपीटी और 7 पीपीटी तक का कमजोर प्रदर्शन किया जाता रहा है।’
निफ्टी का पीई मौजूदा समय में एमएससीआई ईएम सूचकांक के मुकाबले 80 प्रतिशत ज्यादा है, जो 2007-08 की तेजी के बाद से सर्वाधिक है। भारतीय बाजारों ने वर्ष 2007 से करीब 40 प्रतिशत की औसत तेजी के साथ कारोबार किया है।
क्रेडिट सुइस में इंडिया इक्विटी रिसर्च, वेल्थ मैनेजमेंट के प्रमुख जितेंद्र गोहिल ने कहा, ‘एमएससीआई इंडिया इंडेक्स का मौजूदा समय में दबदबा है, जो एमएससीआई ईएम सूचकांक के मुकाबले 85 प्रतिशत और एमएससीआई वल्र्ड सूचकांक के मुकाबले 24 प्रतिशत अधिक है। हमें बाजार के सुधरते बुनियादी आधार को देखते हुए भारतीय इक्विटी के लिए ऊंचा पीई प्रीमियम बरकरार रहने की संभावना है।’
