घरेलू बाजार अमेरिकी राहत पैकेज से जुड़ी उम्मीदों से चढऩे वाले वैश्विक बाजारों में ताजा तेजी दर्ज करने के मामले में अपने उभरते बाजार (ईएम) प्रतिस्पर्धियों से आगे रहे हैं। 24 सितंबर के निचले स्तर से निफ्टी 11 प्रतिशत चढ़ा है। तुलनात्मक तौर पर, एमएससीआई ईएम सूचकांक में सिर्फ 7.4 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। इस सूचकांक में प्रमुख तीन भारांक वाले देशों – चीन, ताईवान और दक्षिण कोरिया ने 3.6 प्रतिशत और 5.3 प्रतिशत के बीच तेजी दर्ज की।
मॉर्गन स्टैनली के रणनीतिकार रिधम देसाई और शीला राठी ने ‘इंडिया आउटपरफॉर्मिंग ईएम, फाइनली’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा है, ‘हमने तीन कारकों की पहचान की है जिनमें खास नीतिगत प्रतिक्रिया, महामारी के दौरान मजबूत कॉरपोरेट कदम और सापेक्ष मूल्यांकन ने भारत के प्रदर्शन में मदद की है और इस शानदार प्रदर्शन को बरकरार रखने के लिए भारत को लगातार ऐसी नीति पर अमल करने की जरूरत है जो बाजार कारोबारियों की नजर में भारत की संभावित वृद्घि को दर्शाती हो।’ इस साल अब तक (वाईटीडी) आधार पर भी, भारत का प्रतिफल ईएम के मुकाबले 3.6 प्रतिशत कम रहा है। हालांकि ताजा तेजी से यह अंतर दूर करने में मदद मिली है। मई तक, भारत एमएससीआई ईएम सूचकांक के प्रतिफल के मुकाबले करीब 10 प्रतिशत तक पीछे था। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा भारत की आर्थिक वृद्घि का अनुमान घटाए जाने से, कुछ विश्लेषक यह मान रहे हैं कि मौजूदा प्रदर्शन बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मंगलवार को, इस ऋणदाता ने अपने वल्र्ड इकोनोमिक आउटलुक में अनुमान जताया था कि भारत की जीडीपी चालू वित्त वर्ष में 10.3 प्रतिशत तक घटेगी। जून में, आईएमएफ ने इसमें 4.5 प्रतिशत की कमी की भविष्यवाणी की थी, जो किसी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए परिदृश्य की रेटिंग में सबसे बड़ी गिरावट है। इक्विनोमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘सूचकांक इस उम्मीद से चढ़ रहे हैं कि अनलॉक के उपायों से आर्थिक वृद्घि बहाल होगी। कोविड-19 के मामलों में भी कमी आ रही है जिससे धारणा में सुधार लाने में मदद मिली है। लेकिन बाजार में मौजूदा तेजी के स्तर को बरकरार रखना मुश्किल होगा, क्योंकि मूल्यांकन लंबे समय के लिए टिकाऊ नहीं हैं। कुछ कंपनियों ने कहा है कि क्षमता इस्तेमाल वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान सिर्फ 50 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर रहेगा। यदि इस तरह के हालात रहे तो आय में सुधार नहीं आएगा। इसके अलावा, इसे लेकर भी चिंता बनी हुई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2021 में 9-10 प्रतिशत प्रभावित हो रही है। भले ही वित्त वर्ष 2022 में हमारी संपूर्ण जीडीपी में सुधार आएगा, लेनि यह 2020 के मुकाबले कम बना रहेगा।’
बाजार में ताजा तेजी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) प्रवाह में आए सुधार से समर्थित है। इसके अलावा, बैंकिंग और आईटी जैसे क्षेत्रों में खरीदारी से भी मदद मिली है, क्योंकि इन क्षेत्रों का प्रमुख सूचकांकों में अच्छा भारांक है।
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी चुनाव परिणाम उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह की चाल बदल सकता है।
एवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रेटेजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘अब से, भारत का प्रदर्शन काफी हद तक अन्य ईएम के अनुरूप रहेगा। यदि जो बिडेन चुने जाते हैं तो उभरते बाजारों में वैश्विक प्रवाह बरकरार रहेगा। बिडेन की जीत से चीन के साथ तनाव घटेगा, और एशिया तथा चीन के लिए और ज्यादा पूंजी प्रवाह आकर्षित होगा। वहीं भारत भी अपने भारांक के अनुसार इस प्रवाह का अहम हिस्सा आकर्षित करेगा। लेकिन भले ही वैश्विक व्यापार में तेजी आए, पर हम इसके बड़े लाभार्थी नहीं होंगे।’
