भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) डेटा और टेक्नोलॉजी का ज्यादा इस्तेमाल कर फ्रंट-रनिंग और भेदिया कारोबार जैसे गंभीर अपराध रोकने के विभिन्न तरीकों पर काम कर रहा है।
आईआईएम-बेंगलूर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने कहा कि बाजार नियामक ने निगरानी और नियमित जांच के लिए डेटा और एनालिटिक्स का इस्तेमाल बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि आसान और घरेलू सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सेबी भेदिया कारोबार और फ्रंट-रनिंग का पता लगाने में सक्षम है।
बुच ने कहा, ‘एल्गो से यह पता लगाया जा सकता है कि क्या फ्रंट-रनिंग म्युचुअल फंड स्तर पर हो रही है या ब्रोकरों की ओर से। यदि समान म्युचुअल फंडों का कारोबार फ्रंट-रन से जुड़ा है तो निश्चित तौर पर यह म्युचुअल फंड की तरफ से गड़बड़ी है, और यदि कई म्युचुअल फंडों के सौदों में फ्रंट-रनिंग होती है तो यह ब्रोकरों की गड़बड़ी है।’
मौजूदा समय में, 80 एल्गोरिदम की मदद से, बाजार नियामक उल्लंघनों का पता लगाने के लिए म्युचुअल फंडों से प्राप्त आंकड़े का निरीक्षण करता है। सभी आंकड़ों को हरेक तिमाही में इन एल्गोरिदम से गुजारा जाता है, जिससे कि उल्लंघन के मामलों से प्रत्येक म्युचुअल फंड को जानकारी दी जा सके और जुर्माना चुकाया जा सके।
बुच ने कहा, ‘उद्योग नियमों और हमारे द्वारा मुहैया कराए जाने वाले लॉजिक के आधार पर स्वयं के एल्गोरिदम विकसित कर सकते हैं, जिससे कि वे स्वयं इन पर नजर रख सकें। हम तिमाही आधार पर बदलाव लाते हैं। हम उद्योग को स्वयं की त्रुटियों का पता लगाने और उनका समाधान निकालने के लिए समय देना चाहेंगे।’
बुच ने कहा कि शुरू में भेदिया कारोबार पत्नी या पति के खाते के जरिये किया जाता था, जिसे बाद में मां, सास और साले के खाते में किया जाने लगा। कॉल डेटा रिकॉर्डों के इस्तेमाल के साथ, सेबी नए सख्त पैटर्न तैयार करने में सक्षम है। पुरी ने कहा कि नियामक का लक्ष्य लोगों को फंसने से बचाना है। ई-केवाईसी से ब्रोकरों को टियर-4 और टियर-5 शहरों तक पहुंचने में मदद मिल रही है।
साइबर हमलों से सुरक्षा
एक्सचेंजों और विभिन्न डिपोजिटरी के साथ मिलकर सेबी साइबर हमलों से बाजार को सुरक्षित बनाने के लिए नई प्रणाली पर काम कर रहा है। बुच ने कहा कि यह नई प्रणाली मार्च 2023 तक अमल में आने की संभावना है। मौजूदा समय में, व्यवस्था हार्डवेयर संबंधित खामियों का प्रबंधन करने में ज्यादा सक्षम है। वहीं नई प्रणाली शेयर बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर को सॉफ्टवेयर हमलों और डेटा की हेरफेर से बचाएगी।
