बढ़ती रिटेल भागीदारी और नकदी तथा डेरिवेटिव बिक्री में सुधार से 2020 में ब्रोकरेज फर्मों की आय को मदद मिली।
वर्ष में ‘रॉबिनहुड’ घटनाक्रम का उभार देखा गया और छोटे निवेशकों ने तेज गिरावट की अवधियों के दौरान प्रत्यक्ष रूप से शेयर खरीदारी पर जोर दिया। इसे धारणा में आए बदलाव से मदद मिली, क्योंकि सूचकांक मई के बाद तेज सुधार दर्ज कर चुके थे और 2020 का समापन 23 मार्च के निचले स्तरों के मुकाबले 80 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी के साथ हुआ, जिसमें दुनियाभर में आसान नकदी और वैश्विक निवेश का योगदान रहा।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी बी गोपकुमार का कहना है, ‘छोटे निवेशकों ने गिरावट, और भारी गिरावट की अवधियों में भी खरीदारी की। ये निवेशक अब अपना पैसा म्युचुअल फंडों को देने के बजाय अपने स्वयं के पोर्टफोलियो बनाने पर जोर दे रहे हैं।’ डीमैट खाते खोलने के लिए कई-केवाईसी जैसे फीचर्स, आसान इस्तेमाल वाले इंटरफेस और ऐप के जरिये मोबाइल पर टे्रडिंग सुविधा ने तकनीक प्रेमियों और युवाओं को वित्तीय तंत्र में भागीदारी बनने में सक्षम बनाया है।
दिसंबर में एक्सचेजों पर कुल डेरिवेटिव कारोबार व्यापक उतार-चढ़ाव के बीच रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। इस कारोबार को खासकर वैश्विक निवेशकों से अच्छी भागीदारी की वजह से मदद मिली। एक्सचेंज के आंकड़े से पता चला है कि दिसंबर के लिए एफऐंडओ सेगमेंट में दैनिक औसत कारोबार 31.4 लाख करोड़ रुपये से ऊपर दर्ज किया गया, जो पूर्ववर्ती महीने की तुलना में 2.6 प्रतिशत और पूरे वर्ष के लिए दर्ज औसत कारोबार के मुकाबले 58 प्रतिशत ज्यादा है। डिलिवरी प्रतिशत से साल के अंत में वृद्घि का पता चला है और यह पिछले दो महीनों में 39 प्रतिशत पर रहा, जो अप्रैल 2019 से सर्वाधिक है।
लेवरेज और पीक मार्जिन पर सेबी के ताजा दिशा-निर्देश हालांकि ब्रोकरों के लिए आगामी महीनों में राह चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं। ईवाईईआरएस के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी तेजस खोडे ने कहा, ‘हाल तक, प्लेटफॉर्म द्वारा पेश लेवरेज किसी भी ब्रोकरेज के लिए राजस्व का प्रमुख वाहक था और इनमें से कुछ ऊंचे ब्रोकरेज शुल्कों को बरकरार रखने के लिए 50-100 गुना तक की पेशकश कर रहे थे। हालांकि लेवरेज और पीक मार्जिन के संदर्भ में सेबी के ताजा दिशा-निर्देशों के साथ ब्रोकरों द्वारा पेश लेवरेज अब मानकीकृत होगा और इससे राजस्व पर दबाव पड़ सकता है।’
उनके अनुसार, पारंपरिक ब्रोकरों द्वारा डिस्काउंट ब्रोकिंग पर जोर दिए जाने से मूल्य निर्धारण ढांचा नए कारोबारियों को प्लेटफॉर्म पर आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए अब कोई विशिष्ट कारक नहीं रह गया है। इसलिए व्यक्तिगत पेशकशों के साथ अन्य मूल्यवर्धित सेवाएं बिजनेस मॉडल को बरकरार रखने के लिए आगामी रास्ता हो सकती हैं।
ब्रोकरों के बीच समेकन में तेजी आने की संभावना है, क्योंकि नई अनुपालन शर्तें कुछ खास बाजार भागीदारी वाली कंपनियों के लिए शुरू हो गई हैं।
एनएसई से एकत्रित आंकड़े के अनुसार, सक्रिय ग्राहकों के संदर्भ में प्रमुख 10 ब्रोकरों का कुल 256 ब्रोकरों के ग्राहक आधार में करीब 71 प्रतिशत योगदान है।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज में मुख्य कार्याधिकारी बी गोपकुमार ने कहा, ‘नए मार्जिन नियमों की वजह से छोटे ब्रोकरों को बाजार भागीदारी बढ़ाने में दिक्कत होगी। अनुपालन लागत में तेजी की वजह से एंट्री बैरियर काफी अधिक होगा, जिससे छोटे ब्रोकरों का प्रवाह घटेगा।’
कुल ब्रोकरेज उद्योग आय वित्त वर्ष 2020 में 21,000 करोड़ रुपये दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2019 के 19,500 करोड़ रुपये के मुकाबले करीब 8 प्रतिशत ज्यादा थी। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार चालू वित्त वर्ष में, उद्योग का समेकित राजस्व बढ़कर करीब 23,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है।
