भारतीय प्राइवेट इक्विटी फर्म आईएलऐंडएफएस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स लिमिटेड ने एक नए रियल्टी फंड के लिए 45 अरब रुपये (8,950 लाख डॉलर) जुटाए हैं।
प्रतिकूल वैश्विक वित्तीय परिस्थितियां और कमजोर हो रहे प्रॉपर्टी बाजार के बावजूद आईएलऐंडएफएस वैश्विक निवेशकों की मदद से कोष जुटाने में कामयाबी हासिल की है।
भारत की सबसे पुरानी प्राइवेट इक्विटी कंपनियों में से एक आईएलऐंडएफएस एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की पहली किस्त के लिए भी पैसे जुटा रही है।
आईएलऐंडएफएस की मुख्य कार्याधिकारी अर्चना हिंगुरानी ने कहा कि एक महीने के भीतर इसके लिए पैसा जुटा लिए जाने की आशा है। रियल्टी फंड, जो आईएलऐंडएफएस का रियल एस्टेट पर केंद्रित दूसरा फंड है, का आरंभिक लक्ष्य 7,500 लाख डॉलर का था।
लक्ष्य से ज्यादा पैसे जुटाए जा चुके हैं। हिंगुरानी ने बताया कि यूएस पेंशन फंड और यूनिवर्सिटी एन्डोमेंट्स जैसे दो सोवरिन वेल्थ फंडों के साथ कंपनी की प्रतिबध्दता है।
उन्होंने कहा, ‘वर्तमान बाजार परिस्थितियों और पूंजी की कमी निश्चित ही महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध कराते हैं। हमारा झुकाव आवासीय और कार्यालय के क्षेत्र में बढ़ रहा है। इस समय हम रीटेल को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं।’
भारत में रियल एस्टेट की मांग में कमी आई है। इसकी एक वजह तो कीमतें और ब्याज दरों का अधिक होना है और दूसरी ऋण के मामले में कड़ाई के साथ-साथ आर्थिक मंदी ने बाकि की कसर पूरी कर दी है। रीटेल क्षेत्र आपूर्ति की प्रचुरता से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
हिंगुरानी ने कहा, ‘इन फंडों को अगले 18 महीनों के दौरान इस्तेमाल में लाने का अनुमान है।’ उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र को मंदी से उबरने में 18 से 24 महीने से अधिक का समय लग सकता है। हिुंगरानी ने बताया कि एईएलऐंडएफएस आवासीय और औद्योगिक परियोजनाओं के लिए 250 से 500 लाख डॉलर का वायदा पहले ही कर चुकी है।
उन्होंने बताया कि आईएलऐंडएफएस ने अप्रैल 2006 में पहले रियल एस्टेट फंड के जरिए जुटाई गई 5,250 लाख डॉलर की राशि का पूरी तरह इस्तेमाल किया और कुछ परियोजनाएं अब बिक्री के चरण में पहुंच चुकी हैं।
विश्व भर में वित्त और रियल एस्टेट बाजार के संकट से प्रभावित होने के बावजूद कंपनियां एशियाई प्रोपर्टी के लिए प्राइवेट इक्विटी जुटाने में कामयाब रही हैं। अक्टूबर में मेरिल लिंच ने एशियाई रियल एस्टेट, जिसमें भारत भी शामिल था, में निवेश करने के लिए 2.65 अरब डॉलर जुटाए थे।
सिटीग्रुप भी 1.3 अरब डॉलर के एशिया फंड के बाद आगे के लिए कई अरब डॉलर जुटा रही है। इन राशियों को सिटीग्रुप चीन और भारत में खर्च करती आई है। जेपी मॉर्गन की योजना एशियाई प्रोपर्टी में एक अरब डॉलर से अधिक का निवेश करने की है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड
हिंगुरानी ने कहा कि साल 2008 की दूसरी तिमाही में आईएलऐंडएफएस ने एशियाई इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड लॉन्च किया था और अनुमान है कि इसकी पहली किस्त लगभग एक महीने में पूरी हो जाएगी। उन्होंने पहली किस्त की राशि के बारे में जानकारी नहीं दी।
उन्होंने कहा कि मोटे तौर यह फंड 8,000 लाख डॉलर का होगा। वैश्विक आर्थिक संकट की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘बाजार परिस्थितियां पहले की अपेक्षा भिन्न हैं। हम पहली किस्त पूरी करने के करीब हैं। जल्द ही यह पूरा हो जाना चाहिए।’
भारत सरकार ने कहा है कि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए देश को लगभग 500 अरब डॉलर की जरूरत है। इसमें सड़क, पुल, रलवे लाइन, बंदरगाह और पावर प्लांटों का नवीकरण करना शामिल है।