औद्योगिक वृद्धि की रफ्तार जुलाई में धीमी पड़कर 11.5 फीसदी रही, जो इससे पिछले महीने में 13.5 फीसदी थी। कोविड से संबंधित पाबंदियों में ढील के बावजूद खनन और उद्योग के सबसे बड़े खंड विनिर्माण की वृद्धि में नरमी रही। इस गिरावट की एक बड़ी वजह आधार का सामान्य होना है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) से मापा जाने वाला मात्रात्मक औद्योगिक उत्पादन पिछले वित्त वर्ष के जुलाई में 10.6 फीसदी लुढ़का था, जो उस साल जून में 16.6 फीसदी गिरावट के मुकाबले कम था।
विशेषज्ञों ने कहा कि टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद को छोड़कर सभी उपयोग आधारित खंड सुधरकर कोविड से पहले के स्तर या उससे ऊपर पहुंच गए हैं। इससे संकेत मिलता है कि औद्योगिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं।
इन आंकड़ों से 10 दिन पहले आए अन्य आंकड़ों में कहा गया था कि मुख्य रूप से विनिर्माण और कृषि मूल्य संवर्धित उत्पादों की बदौलत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कम आधार पर 20.1 फीसदी बढ़ा है। आईआईपी में विनिर्माण वृद्धि जुलाई में घटकर 10.5 फीसदी रही, जो जून में 12.8 फीसदी रही थी। इसी तरह खनन की वृद्धि लुढ़ककर 19.5 फीसदी पर आ गई, जो जून में 23.1 फीसदी रही थी। दूसरी तरफ बिजली वृद्धि 11.1 फीसदी रही, जो जून में 8.2 फीसदी रही थी।
चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में समग्र रूप से आईआईपी वृद्धि 34.1 रही है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 29.3 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी। इस वित्त वर्ष में जुलाई में विनिर्माण उत्पादन जून के मुकाबले 8.2 फीसदी बढ़ा है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘पाबंदियों में ढील और आवागमन बढऩे से जुलाई में जून के मुकाबले अच्छी वृद्धि हुई है, लेकिन यह आधार के लगातार सामान्य होने से बौनी पड़ गई है।’ हालांकि उन्होंने कहा कि जुलाई में आईआईपी में जून के मुकाबले बदलाव जीएसटी ई वे बिल बनने में 17 फीसदी बदलाव के मुकाबले काफी कम था। नायर ने कहा, ‘हमारा मानना है कि जीएसटी ई वे बिल राज्यों में प्रतिबंध ढीले पडऩे से लगातार इन्वेंट्री क्लियरेंस को दिखाते हैं।’
बार्कलेज में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि मुख्य आईआईपी अब जुलाई 2019 के स्तर से महज 0.3 फीसदी नीचे है। बाजोरिया ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि आगामी महीनों में पिछले महीने के मुकाबले वृद्धि जारी रहेगी।’
नायर ने कहा कि जुलाई 2021 में विनिर्माण सूचकांक (130.9) पिछले साल के त्योहारी सीजन के दौरान अक्टूबर 2020 (132.0) के आसपास था। इससे दूसरी लहर के बाद सुधार की मजबूती की झलक मिलती है। एक अहम चीज यह रही कि पूंजी उत्पादन जुलाई में 29.5 फीसदी बढ़ा, जो इससे पिछले महीने के 26.6 फीसदी के मुकाबले अधिक था। यह दर्शाता है कि निवेश गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं।