बाजार को आईसीआईसीआई बैंक से ज्यादा उम्मीदें नहीं थी, इसलिए मार्च 2009 की तिमाही में जब बैंक का शुध्द लाभ 35 प्रतिशत घट कर 744 रुपये हो गया तो यह कोई बड़े अचरज की बात नहीं बनी।
दूसरी तरफ, आय की गुणवत्ता सुखद आश्चर्य भरा रहा। बैंक के शुध्द ब्याज मार्जिन में क्रमिक तौर पर 20 आधार अंकों की बढ़ोतरी हुई और यह 2.6 प्रतिशत हो गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बैंक ने थोक बाजार को बहुत कम ऋण दिया और ब्याज की लागत का बचत करता रहा।
इसके अतिरिक्त, सस्ते चालू और बचत खाते में क्रमिक तौर पर 1.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 28.7 प्रतिशत हो गया और कई तिमाहियों के बाद जमाओं में भी क्रमिक रूप ये बढ़ोतरी दर्ज की गई। इन आंकड़ों से यह बात सबसे अधिक सुनिश्चित होती है कि नये बकाये ऋण में अब स्थिरता आई है क्योंकि गैर-निष्पादित ऋण जो 1,250 करोड़ रुपये का है लगभग दिसंबर तिमाही के स्तर पर है।
रिटेल बुक में गिरावट की वजह से सकल गैर-निष्पादित ऋण 4.14 प्रतिशत से बढ़ कर 4.32 प्रतिशत हो गया और आगे भी परिसंपत्ति गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है- और अधिक परिसंपत्तियों का पुनर्गठन करना होगा खास तौर से कॉर्पोरेट ऋण को- लेकिन आने वाले समय में गैर-निष्पादित ऋण घटने की संभावना है।
अगर कोई पुनर्गठित परिसंपत्तियों, जिसमें विचाराधीन आवेदन भी शामिल हैं, पर विचार करता है तो सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अधिक होगी जबकि कवरेज का अनुपात जो फिलहाल 52 प्रतिशत है में जबर्दस्त गिरावट आएगी।
ऋण बुक में विस्तार करने की जगह बैंक अपनी पूंजी को संरक्षित रखना चाहता है। उल्लेखनीय है कि लोन बुक में सालाना आधार पर मार्च की तिमाही में 3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। संभवत: वर्तमान कठिन परिस्थिति में यह कदम सर्वोत्तम है। क्रमिक तौर पर ऋण बुक में क्रमिक रूप से बहुत कम इजाफे के कारण शुल्क से होने वाली आय सपाट रही।
भविष्य की बात करें तो तेजी आने में अभी वक्त लगेगा। ऋण वृध्दि इस साल कम रहनी चाहिए यद्यपि यह अधिक लाभकारी हो सकता है क्योंकि सस्ते चालू और बचत खाते में इस साल के अंत तक 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। हालांकि, आय लगभग 10 प्रतिशत बढ़ सकती है।
आइडिया सेल्युलर: सिग्नल अच्छा है
रिलायंस कम्युनिकेशन से जबरदस्त प्रतिस्पर्धा के बावजूद आइडिया सेल्युलर ने मार्च 2009 की तिमाही में बेहतर आंकड़े प्रदर्शित किए हैं। हालांकि, इस्तेमाल के मिनट में अपेक्षाकृत कमी आई है, इसमें केवल तीन प्रतिशत की कमी आई और यह 402 मिनट रहा।
प्रति उपभोक्ता औसत आय (एआरपीयू) क्रमिक तौर पर 4.5 फीसदी घट कर 254 रुपये रहा जो बुरा नहीं था। इससे स्टैंड-एलोन राजस्व क्रमिक तौर पर 9 प्रतिशत बढ़ कर 2,860 करोड रुपये होने में मदद मिली।
स्टैंड-एलोन परिचालन मार्जिन 26 प्रतिशत के अंदर रहा लेकिन परिचालन लाभ मार्जिन 2.10 प्रतिशत बढ़कर 27.6 प्रतिशत होने से समेकित आंकड़े मजबूत रहे। अच्छी खबर यह रही कि मुंबई और बिहार सर्कल में होने वाला परिचालन घाटा घटा है लेकिन लागत का दबाव बना रहेगा क्योंकि यह टेलीकॉम कंपनी अन्य सर्कल में भी अपने नेटवर्क का विस्तार करने वाली है।
यद्यपि कंपनी के पास 6,000 करोड़ रुपये की नकदी है। इसकी योजना इस नकदी को अधिकांशत: पूंजीगत खर्चे में इस्तेमाल करने की है और इसे 3जी लाइसेंस प्राप्त करने में उधार लेने की जरूरत पड़ सकती है।
60 रुपये पर आइडिया सेल्युलर के शेयरों का कारोबार साल 2009-10 के एंटरप्राइज वैल्यूईबीआईटीडीए के छह गुना से कम पर किया जा रहा है जबकि बाजार में अग्रणी भारती एयरटेल के शुयरों का कारोबार लगभग सात गुना पर किया जा रहा है।
