एफएमसीजी क्षेत्र की बड़ी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) का राजस्व 2009-10 में गिरकर 12-13 फीसदी पर आ सकता है।
यह दर मार्च 2009 तक 15 माह में 18 फीसदी रह सकती है। 2007 में कंपनी का राजस्व 13,717 करोड़ रुपये रहा था। इस कमी की वजह यह है कि कंपनी की टॉपलाइन अपना कुछ मूमेंटम खो रही है इससे धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था में इसका कारोबार कम हो सकता है।
इसके साथ ही कंपनी के लिए अपने प्रमुख स्वास्थ्य उत्पादों और व्यक्तिगत उत्पादों की कीमतों में इजाफा करना आसान नहीं होगा।
वास्तव में कमोडिटी की कीमतों में कमी आने के बाद कंपनी को अपनी कीमतों में कटौती या फिर उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए दूसरे उपाय करने होंगे।
सितंबर तिमाही के नतीजे कंपनी के लिए पहले ही उम्मीदों से कमतर रहे हैं। इस दौरान उसने सिर्फ सात फीसदी की विकास दर ही हासिल की, वह भी लोवर बेस में।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि उपभोक्ता डिटरजेंट जैसे उत्पादों का पहले से कम उपयोग करने लगे हैं। इसके साथ ही कुछ किस्म की डाउनट्रेडिंग भी हो रही है।
सितंबर की तिमाही के आंकड़े बताते हैं कि गोदरेज कंज्यूमर का शेयर साबुन क्षेत्र में बढ़ा है। गोदरेज के वॉल्यूम जो सितंबर तिमाही में 15 फीसदी बढे, अक्टूबर की तिमाही में भी ऊपर गए। हालांकि एचयूएल ने प्रमुख परसन प्रॉडक्टों में प्राइसिंग पावर बरकरार रखा है जहां वह हाई एंड प्रॉडक्टों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि वह वॉल्यूम बरकरार रखेगा। अच्छी खबर यह है कि भले ही कंपनी की राजस्व वृध्दि में थोड़ा अंकुश लगा हो लेकिन इनपुट्स की कम लागत के कारण इसके ऑपरेटिंग मार्जिन में सुधार आने की उम्मीद है।
खासकर के पाम ऑयल की कीमतों में आई कमी से जिसकी कीमतें दो साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं।
सितंबर की तिमाही में साबुन और डीटरजेंट का मार्जिन 2.5 फीसदी नीचे आ गया था। अब इस स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है। इस स्थिति में एचयूएल के अपने विज्ञापन व्यय में कटौती किए जाने की कोई संभावना नहीं है। क्योंकि आईटीसी पहले की ही तरह अपने पर्सनल केयर ब्रांड की मार्केटिंग कर रहा है।
इसके बाद भी उम्मीद है कि एचयूएल 2009-10 में जारी वर्ष की तुलना में बेहतर नेट मार्जिन अर्जित करेगा। 2008-09 में कंपनी शुध्द मुनाफे में 12-13 फीसदी के इजाफे की उम्मीद है। यह वर्ष 2007 में 1,770 करोड़ रुपये था।