इक्विटी को लेकर आकर्षण लगातार बढ़ता रहा है और भारतीय परिवारों का इस परिसंपत्ति वर्ग में निवेश साल 2022 में अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया।
जेफरीज की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय परिवारों की मार्च में रही परिसंपत्तियों का 4.8 फीसदी इक्विटी में लगा हुआ है, जो पिछले साल मार्च में 4.3 फीसदी था और साल 2020 में आवंटित 2.7 फीसदी के मुकाबले उसमें 57 फीसदी की उछाल दर्ज हुई है। जेफरीज ने मार्च 2022 में भारतीय परिवारोंं की कुल परिसंपत्तियों की कुल वैल्यू 10.7 लाख करोड़ रुपये आंकी है।
जेफरीज के प्रबंध निदेशक महेश नंदूरकर ने अभिनव सिन्हा के साथ लिखी रिपोर्ट में कहा है, भारतीय परिवारों की पिछले 15 साल की परिसंपत्तियों के विश्लेषण से पता चलता है कि परिवारों के नेटवर्थ के प्रतिशत के तौर पर इक्विटी में निवेश अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है, हालांकि यह अभी भी 5 फीसदी से नीचे है। 11 लाख करोड़ रुपये में से वित्तीय बचत करीब 36 फीसदी है।
जेफरीज के नोट के मुताबिक, वित्तीय क्षेत्र में निवेश का तरजीही जरिया अभी भी बैंंक डिपॉजिट (इक्विटी का तीन गुना) बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है, भौतिक परिसंपत्ति यानी प्रॉपर्टी (49 फीसदी) और सोना (15 फीसदी) का वर्चस्व अभी भी बना हुआ है, पर भौतिक परिसंपत्तियों ने साल 2014 में शुरू हुए ट्रेंड के बाद से वित्तीय बचत में करीब 8 फीसदी हिस्सेदारी गंवा दी है।
जेफरीज के नोट में कहा गया है, पिछले 5 वर्षों में इक्विटी म्युचुअल फंडो में करीब 80 अरब डॉलर का निवेश आया है और यह ट्रेंड स्थिर लग रहा है, ऐसे में यह टिकाऊ रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है, खुदरा निवेशक इक्विटी मेंं निवेश शेयरों की सीधी खरीद व यूलिप के जरिए भी करते हैं। पेंशन फंड (करीब 6 अरब डॉलर सालाना, ईपीएफओ व एनपीएस) इसके बाद है। ज्यादातर निवेशक हालांकि शेयर खरीदने के बाद उससे निकलने की जल्दबाजी में नहीं हैं। जेफरीज ने कहा, 60 फीसदी इक्विटी निवेशक एक साल से ज्यादा समय तक निवेशित रहते हैं, जो सुदृढ़ता बताता है। हालांकि खुदरा खाते का औसत आकार पिछले पांच साल में 13 फीसदी घटा है और यह साल 2017 के 86,000 रुपये के मुकाबले घटकर 75,000 रुपये रह गया है। एचएनआई के निवेश का औसत आकार भी 2017 के 17.78 लाख रुपये से घटकर साल 2021 में 8.97 लाख रुपये रह गया।
जेफरीज ने कहा, पिछले 12 महीने मेंं एफपीआई ने द्वितीयक बाजारों में 28 अरब डॉलर के शेयर बेचे हैं। यह मार्च 2021 की उनकी होल्डिंग का करीब 5 फीसदी बैठता है। पिछले आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले 12 महीने के आधार पर मौजूदा निकासी पिछले 10 साल में रहे सर्वोच्च निवेश का 3 गुना रहा है।
मूल्यांकन की चिंता
बिकवाली के बावजूद रिसर्च व ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि बाजार अभी भी महंगे हैं और मौजूदा स्तर पर प्रवेश का मौका नहीं देता है। इसके अतिरिक्त दरों में बढ़ोतरी का चक्र और जिंसों में तीव्र बढ़ोतरी बताता है कि आय में अपग्रेड का चक्र शायद समाप्त हो गया है। देसी सहारा निफ्टी की मदद कर सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, निफ्टी अपने हालिया निचले स्तर से 8.7 फीसदी सुधरा है और दिसंबर 2022 के हमारे लक्ष्य 17,500 के करीब पहुंच गया है। मूल्यांकन के मानदंडों पर बाजार अभी भी प्रवेश का आकर्षक स्तर मुहैया नहींं कराता। एक साल का फॉरवर्ड पीई 19.5 गुना है, जो 10 साल के औसत से 17 फीसदी ज्यादा है।
