कठिन माहौल के बावजूद साल 2008-09 में हीरो होंडा का प्रदर्शन आश्चर्यजनक रूप से बेहतर रहा है।
मोटरसाइकिल के क्षेत्र में इसकी बाजार हिस्सेदारी साल के अंत में 57 प्रतिशत की रही। मार्च की तिमाही में राजस्व में साल दर साल 22 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। जिंसों की कीमतें घटने से कंपनी ने 14.6 प्रतिशत का परिचालन लाभ मार्जिन दर्ज किया।
बजाज ऑटो द्वारा कई मॉडल लॉन्च किए जाने तथा होंडा एवं स्कूटर्स इंडिया के 100 सीसी बाजार में उतरने से मोटरसाइकिल बाजार में प्रतिस्पध्र्दा लगातार बढ़ रही है। इसलिए ऐसा संभव है कि हीरो होंडा की बाजार हिस्सेदारी थोड़ी घटे लेकिन यह कमी उतनी महत्वपूर्ण नहीं होगी।
ग्रामीण क्षेत्रों के कंपनी पकड़ और उपस्थिति मजबूत है और अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद, देश भर में उत्पादों का बेहतरीन पोर्टफोलियो, एक्जिक्यूटिव और प्रीमियम श्रेणी तक इसकी पहुंच से कंपनी का दोपहिया कारोबार इस साल लगभग 8 प्रतिशत बढ़ने में मदद मिलनी चाहिए।
पिछले साल आधार थोड़ा कम होते हुए भी कारोबार में 12 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई थी। अपने मोटरसाइकिल की बिक्री के लिए हीरो होंडा फाइनैंस पर बहुत कम निर्भर करती है। इसके अतिरिक्त, कंपनी ने यह प्रदर्शित किया कीमत निर्धारित करने की क्षमता इसमें है। इसने उत्पाद कर या कच्चे माल की कीमतें घटने का फायदा हमेशा ही ग्राहकों को नहीं दिया है।
इसलिए ऐसा संभव है कि इस साल राजस्व लगभग 7 से 8 प्रतिशत बढ़े। साल 2008-09 में कंपनी का राजस्व 12,319 करोड़ रुपये था। इस्पात की कीमतें घट रही हैं इसलिए परिचालन मार्जिन 24 प्रतिशत के वर्तमान स्तर पर बना रहना चाहिए।
कंपनी हरिद्वार के संयंत्र का उत्पादन बढ़ाना चाहती है, इससे प्रभावी कर कम होना चाहिए। इसका मतलब हुआ कि प्रति शेयर आय पिछले साल के 64.19 रुपये की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़नी चाहिए। हीरो होंडा के शेयरों का प्रदर्शन साल 2008 में बेहतर रहा है। फिलहाल इसके शेयरों का कारोबार 1,100 रुपये पर किया जा रहा है जो साल 2009-10 की अनुमानित आय का लगभग 14 गुना है और आकर्षक है।
टीसीएस: राह नहीं आसान
भारत की सबसे बड़ी तकनीकी कंपनी टीसीएस के मार्च 2009 के आंकड़े हतप्रभ करने वाले रहे। डॉलर में होने वाली वैश्विक कमाई, जिसमें सीजीसीएल और सीएमसी शामिल नहीं है, में क्रमिक तौर पर 8.5 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि, कर्मचारी लागत नियंत्रित होने से ईबीआईटी मार्जिन में मात्र 1.10 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 23.7 प्रतिशत रहा।
अच्छी खबर यह है कि टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज ने साल 2008-09 के दौरान लगभग 27 बड़े सौदे किए और इससे भी बड़ी बात यह रही कि पिछले छह महीने में भुगतान में पहले की तरह विलंब नहीं हुआ।
हालांकि, परिचालन माहौल चुनौतीपूर्ण होने की संभावना को देखते हुए विश्लेषकों ने इस वर्ष टीसीएस की डॉलर में होने वाली आय में 8 से 9 फीसदी की कटौती की है जबकि रुपये में होने वाली आय पूर्ववत या फिर मामूली रूप से अधिक हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कीमतों पर दबाव बने रहने की संभावना है।
जहां तक कारोबार की बात है तो ग्राहकों से दोबारा काम मिलना मुश्किल है क्योंकि वे अपना आईटी बजट घटा रहे हैं। इसलिए जब तक आईटी के खर्चों में सुधार नहीं होता तब तक कारोबार का सुधरना थोड़ा मुश्किल है।
बीएफएसआई का क्षेत्र, जिसमें टीसीएस की गहरी पैठ है, का प्रदर्शन उतना बुरा नहीं रहा जैसा कि अनुमान किया जा रहा था। विनिर्माण, हाई-टेक्नोलॉजी और टेलीकॉम से मिलने वाले कारोबार में खास तौर से सुस्ती नजर आई।
प्रबंधन बिक्री लागत नियंत्रित रखना चाहता है। कंपनी की प्रति शेयर आय इस साल सपाट बने रहने की संभावना है और 552 रुपये पर इसका कारोबार लगभग 10.5 गुना पर किया जा रहा है। यह बराबरी की कंपनी इन्फोसिस की तुलना में कम है जिसके शेयरों का कारोबार 13.5 गुना पर किया जा रहा है और बेहतर प्रदर्शन खास तौर से बेहतर परिचालन मार्जिन को देखते हुए यह ठीक जान पड़ता है।
