एचडीएफसी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) अपनी बाजार हिस्सेदारी में आती कमी को रोकने के लिए नई योजनाओं पर दांव लगा रही है। इसके लिए पिछले कुछ महीनों में चार इक्विटी फंड की पेशकश की गई है। देश की दूसरी सबसे बड़ी फंड कंपनी ने प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) के लिहाज से साल 2001 और 2020 के बीच केवल पांच सक्रिय प्रबंधित इक्विटी योजनाएं शुरू कीं।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि एचडीएफसी एएमसी नवनीत मुनोट के नए नेतृत्व में अपनी शैली बदल रही है जिन्होंने मिलिंद बर्वे के 12 साल के कार्यकाल के बाद फरवरी में पदभार ग्रहण किया। उनकी नजर अब लघु और दीर्घकालिक दोनों लाभों पर है। देश की सबसे बड़े फंड कंपनी एसबीआई एएमसी के पूर्व मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) ऐसे समय में कंपनी से जुड़े हैं जब सूचीबद्ध कंपनियों के बीच प्रीमियम मूल्यांकन वाली एचडीएफसी एएमसी ने जून 2020 को समाप्त वर्ष में अपने एयूएम बाजार हिस्सेदारी में करीब 200 आधार अंकों की गिरावट देखी थी।
एचडीएफसी एएमसी के शेयरों ने बाजार में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया क्योंकि विश्लेषकों ने इनकी आमदनी वृद्धि के पूर्वानुमान में कटौती की है। बीते साल इसके शेयर को सेंसेक्स के 48 फीसदी की तुलना में 26 फीसदी का मुनाफा मिला। इस साल अब तक शेयरों में केवल 4 फीसदी की तेजी है जबकि सेंसेक्स 21 फीसदी तक बढ़ा है। वहीं सूचीबद्ध यूटीआई एएमसी के शेयर को इस साल दोगुने से ज्यादा का फायदा हुआ है जबकि निप्पॉन इंडिया एएमसी को 36 फीसदी का लाभ हुआ है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मुनोट की प्रमुख चुनौतियां बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने, नए निवेशकों को जोडऩे और कंपनी की प्रमुख योजनाओं के खराब प्रदर्शन की वजह से बनी नकारात्मक छवि को दूर करना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि एचडीएफसी एएमसी के इक्विटी फंड प्रदर्शन में सुधार शुरू हो गया है जिससे आने वाले महीनों में निवेश लाने में मदद मिलेगी।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के निदेशक (प्रबंधक शोध) कौस्तुभ बेलापुरकर कहते हैं, ‘प्रदर्शन के लिहाज से हम सभी जानते हैं कि प्रशांत जैन (सीआईओ और कार्यकारी निदेशक) बड़े निवेशक रहे हैं। यह निवेश शैली पिछले साल तक अनुकूल नहीं थी हालांकि फंडों का प्रबंधन अच्छी तरह से किया गया। बात बस इतनी है कि बाजार का चक्र उनकी शैली के लिए अनुकूल नहीं था जिसके परिणामस्वरूप प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।’
वह कहते हैं कि जैन ने 2014 और 2016 के बीच फंड का प्रबंधन बहुत अच्छी तरह से किया है, लेकिन 2018 और अगस्त 2020 के बीच उन्हें कठिन दौर का सामना करना पड़ा क्योंकि तेजी वाले शेयरों की मांग की जा रही थी। वह कहते हैं, ‘एचडीएफसी एएमसी के कुछ प्रमुख फंडों का प्रदर्शन बेंचमार्क सूचकांकों और प्रतिस्पद्र्धी समूह की अपेक्षा खराब रहा। लेकिन 2020 की दूसरी छमाही में हालात अनुकूल होने लगे।’