भले ही मार्च 2009 की तिमाही में ऐक्सिस बैंक का ऋण दिसंबर 2008 की तिमाही की तुलना में 37 फीसदी की धीमी गति से बढ़ा हो, लेकिन यह बढ़ोतरी इस अवधि में इसके कुछ प्रतिद्वंद्वियों द्वारा दर्ज किए गए इजाफे से अधिक है।
वैसे मौजूदा माहौल भी उधारी के लिए ज्यादा मददगार नहीं रहा है। फिर भी बैंक ने 3.3 फीसदी का मजबूत शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) दर्ज किया है। शुल्क और कोष दोनों से आय शानदार रही है। हालांकि इसकी ब्याज आय काफी कम दर्ज की गई है। ऐक्सिस बैंक अपने जोखिम का भी अच्छी तरह प्रबंधन करने में कामयाब हुआ है।
हालांकि इसके ग्रॉस नन-परफॉर्मिंग लोस (एनपीएल) यानी सकल गैर-निष्पादित ऋण अनुक्रमिक आधार पर बेहद मामूली रूप से बढ़े। शुद्ध एनपीएल दिसंबर, 2008 के अंत में 0.39 फीसदी था जो घट कर 0.35 फीसदी रह गया। अगर तिमाही दर तिमाही रूप से प्रावधान बढ़े तो इसलिए कि दिसंबर 2008 की तिमाही में प्रावधानों में राइटबैक रखा गया था।
आरबीआई ने बैंकों को ऋणों के पुनर्गठन की अनुमति दी है जिसका मतलब है कि इन्हें अच्छी आस्तियों के रूप में और कम जरूरी या बिना प्रावधान के वर्गीकृत किया जा सकता है। फिलहाल कोई भी यह स्पष्ट नहीं बता सकता कि आस्तियां किस तरह से अच्छी हैं।
लेकिन मौजूदा समय में आस्तियों के वर्गीकरण के लिए आसान मानकों ने बैंक को मार्च, 2009 की तिमाही में शुद्ध मुनाफे में साल दर साल 61 फीसदी की शानदार बढ़ोतरी दर्ज करने में मदद दी है। दिसंबर 2008 की चुनौतीपूर्ण तिमाही (जब ब्याज दरें अस्थिर थीं) के बाद फंडों की लागत लगातार घट कर 6.64 फीसदी रह गई है और चालू एवं बचत खाते (सीएएसए) का अनुपात 43 फीसदी पर है।
प्रमुख तथ्य यह है कि बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में बड़ी मात्रा में ऋण दिया है जिसमें एसएमई क्षेत्र को दिए गए ऋण की भागीदारी अहम है। हालांकि मेरिल लिंच का मानना है कि कमजोर आर्थिक माहौल चालू वर्ष में एनपीएल में तेज बढ़ोतरी ला सकता है।
यूनिटेक : अभी पूरी तरह निजात नहीं
निजी नियोजन के जरिये यूनिटेक को 1600 करोड़ रुपये जुटाने में मिली सफलता के साथ कंपनी की बैलेंस शीट में जोखिम घटेगा। इस रकम का इस्तेमाल कुछ म्युचुअल फंड कंपनियों का कर्ज चुकाने में भी किया जाएगा।
विश्लेषकों के अनुमानों के मुताबिक कंपनी का शुद्ध डेट-इक्विटी रेश्यो घट कर 2009-10 में 1.2 गुना हो जाएगा जो मार्च 2009 के अंत में 1.9 गुना था। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कंपनी समस्याओं से पूरी तरह निजात पाने में सफल हो जाएगी।
हां, इतना जरूर है कि वह ऋणों पर कुछ ब्याज चुकता कर सकती है और कुछ रकम परियोजनाओं के लिए भी बचा कर रख सकती है। मार्च के अंत तक कंपनी के खातों में अनुमानित रूप से 8500 करोड़ रुपये का कर्ज दिखाया गया है जो नकदी प्रवाह को देखते हुए कोई छोटी-मोटी रकम नहीं है।
जब तक रियल एस्टेट बाजार में तेजी नहीं लौटेगी, नकदी प्रवाह की कमजोरी बरकरार रहेगी। इस कमजोरी के कुछ संकेत स्पष्ट दिख रहे हैं और ऐसी आशंका है कि हालात और बदतर हो सकते हैं।
उधर एनसीआर से बाहर यूनिटेक की ‘सस्ती आवासीय योजना’ रंग नहीं दिखा पा रही है। आईआईएफएल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोलकाता में कई वर्षों से मौजूदगी के बावजूद यूनिटेक की एक भी परियोजना को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। हालांकि कंपनी 2009-10 में 3 करोड़ वर्ग फुट जगह पर काम शुरू करना चाहती है।
