बाजारों में पिछले सप्ताह से गिरावट का रुझान बना हुआ है। पिछले सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में 75 आधार अंक तक की वृद्धि की थी। वर्ष 2022 में अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में यह तीसरी वृद्धि थी। सेंसेक्स और निफ्टी-50 में तब से करीब 4 प्रतिशत गिरावट आई है और कुल प्रतिफल के संदर्भ में इन सूचकांकों का प्रतिफल 2022 में बढ़ने के बजाय नीचे आ गया है।
तकनीकी संकेतकों से पता चलता है कि निफ्टी-500 सूचकांक में शामिल 268 शेयरों में गिरावट आई और वे अपने 200 डीएमए से नीचे आ गए हैं। दीर्घावधि निवेशकों के लिए, 200-डीएमए किसी शेयर या सूचकांक में मौजूदा रुझान का व्यापक संकेत मुहैया कराता है। कारोबारी ऐसे शेयर पसंद करते हैं जो 200-डीएमए से ऊपर हों, क्योंकि उनमें बेहतर प्रदर्शन करने की अधिक संभावना होती है।
विश्लेषकों का मानना है कि बिकवाली काफी बढ़ गई है, क्योंकि निवेशकों में अमेरिकी फेड द्वारा दर वृद्धि के बाद चिंता पैदा हुई है। उनका कहना है कि भारतीय बाजार अभी भी मध्यावधि से दीर्घावधि के नजरिये से ‘गिरावट पर खरीदें’ की स्थिति में हैं।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम का मानना है, ‘भारतीय बाजारों में बिकवाली काफी बढ़ गई है। भारतीय बाजारों में ऐसी कई समस्याएं दिखी हैं जो मूल रूप से विदेशों से जुड़ी हुई हैं। जहां कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान घटाए हैं, वहीं यह देश वैश्विक तौर पर तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा। तेल कीमतों में गिरावट, अच्छे मॉनसून, खरीफ फसल में सुधार से भी धारणा मजबूत होगी। अमेरिकी फेड ने मौजूदा दर वृद्धि के साथ लक्षित वृद्धि के 65 प्रतिशत को पार कर लिया है। निवेशकों को मौजूदा गिरावट का इस्तेमाल अच्छी गुणवत्ता वाले शेयर खरीदने में करना चाहिए।’
बीपीसीएल, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), श्री सीमेंट, अल्ट्राटेक सीमेंट, यूपीएल, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, जिंदल स्टील ऐंड पावर, अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज, एयू स्मॉल फाइनैंस बैंक, सुजलॉन एनर्जी, टाटा कम्युनिकेशंस और पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस निफ्टी-50 के उन 21 शेयरों में शामिल रहे हैं जो गिरकर अपने 200-डीएमए से नीचे आ गए हैं।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का भी मानना है कि वैश्विक वृहद परिदृश्य अल्पावधि में इक्विटी बाजारों के लिए अनुकूल नहीं है। डॉलर इंडेक्स 113 से ऊपर है और 10 वर्षीय अमेरिकी प्रतिफल 3.73 प्रतिशत पर है जिससे एफपीआई निकासी तेज होने का अनुमान है। उनका मानना है कि बिकवाली तेज हुई है और भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों का प्रदर्शन भविष्य में उनके प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर रहने की संभावना है।
उन्होंने कहा, वैश्विक मंदी की आशंका भी बढ़ रही है, क्योंकि फेड का रुख लगातार सख्ह बना हुआ है। पिछले सप्ताह एमएससीआई वर्ल्ड इंडेक्स में 5 प्रतिशत की कमजोरी से वैश्विक इक्विटी बाजारों में मंदी का संकेत मिलता है।
