पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान भारतीय इक्विटी बाजारों में आई भारी गिरावट से एनएसई-500 सूचकांक में शामिल 281 शेयर या 56 प्रतिशत 200-डीएमए (डे मूविंग एवरेज) से नीचे आए। विश्लेषकों ने चेताया है कि यदि कमजोर धारणा बनी रही तो ये शेयर और नीचे आ सकते हैं। तकनीकी तौर पर, कारोबारियों और निवेशकों का माना है कि 200-डीएमए एक संकेतक के तौर पर उनकी निवेश रणनीति को तय करता है। हालांकि इस संकेतक का सामान्य मतलब 200 सत्रों से है, लेकिन कोई भी शेयर इस सीमा से ऊपर या नीचे जाता है तो उसकी ताकत और गति का पता चलता है। 200-डीएमए से ऊपर कारोबार करने वाले शेयर को कारोबारियों और निवेशकों द्वारा अच्छा माना जाता है और आगामी कारोबारी सत्रों में उसमें तेजी आने की संभावना रहती है।
चार्टों से संकेत मिलता है कि बाजार में कमजोरी के बीच एसीसी, एचडीएफसी बैंक, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी, आरईसी, टाटा स्टील, यूपीएल, और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज पहले ही अपनी तेज चमक खोना शुरू कर चुके हैं। एएसएफ इंडिया, भारत फोर्ज, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स, फिनोलेक्स केबल्स, गेल (इंडिया), और गुजरात पीपावाव पोर्ट पिछले कुछ सत्रों से इस 200-डीएमए को मात देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे चमक खो रहे हैं और उनमें कमजोरी बढ़ सकती है।
ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ नयती ने कहा, ‘भारतीय बाजारों ने रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के कारण बड़ी गिरावट दर्ज की है। इस सबसे कच्चे तेल की कीमतों में वृद्घि को बढ़ावा मिल रहा है, जो भारतीय इक्विटी बाजारों के लिए अन्य बाधा है। तकनीकी तौर पर, निफ्टी 17,000-16,800 के महत्वपूर्ण दायरे के आसपास कारोबार कर रहा है और ‘गिरावट पर खरीदें’ रणनीति तब तक कारगर साबित बनी रहेगी जब तक यह 16,800 के स्तर से ऊपर डटा रहेगा, जो इसका 200-डीएमए भी है। इसके अलावा, उसे 17,300, 17,500 और 17,650 के स्तरों पर विभिन्न प्रतिरोधों का भी सामना करना पड़ेगा। 16,800 के स्तरों से नीचे जाने पर इसमें कमजोरी और बढ़ सकती है।’
