ज्यादातर वैश्विक रिसर्च व ब्रोकरेज हाउस मसलन यूबीएस, एचएसबीसी, नोमूरा व मॉर्गन स्टैनली ने भले ही महंगे मूल्यांकन का हवाला देते हुए भारतीय इक्विटी को डाउनग्रेड कर दिया हो, लेकिन जेफरीज के वैश्विक प्रमुख (इक्विटी रणनीति) क्रिस्टोफर वुड ने तेजी का अपना नजरिया एक बार फिर दोहराया है। वह भारत को लेकर ओवरवेट बने हुए हैं और हर गिरावट पर भारतीय स्टॉक की खरीदारी करने पर विचार करेंगे।
निवेशकों के भेजे साप्ताहिक नोट ग्रीड ऐंड फियर में वुड ने लिखा है, अगर ग्रीड ऐंड फियर को अगले 10 साल में वैश्विक स्तर पर एक शेयर बाजार में खरीदारी करना हो और उस अवधि में वह बिकवाली करने में सक्षम न हो तो वह बाजार भारत होगा।
ग्रीड ऐंड फियर जिन बातों से सहमत है उनमें अहम यह है कि आर्थिक नजरिये से भारत उसी स्थिति में नजर आ रहा है जहां वह साल 2003 में था और तब देश आखिरी बार प्रॉपर्टी व पूंजीगत खर्च के चक्र पर सवार था। जेफरीज का मानना है कि बढ़ती ब्याज दरें आगामी निवेश के चक्र को पटरी से नहीं उतारेगा। जेफरीज के विश्लेषण के मुताबिक, 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 2003-04 के 5 फीसदी के निचले स्तर से बढ़कर अगले कुछ सालों में 8-9 फीसदी पर जाएगा और वह भी निवेश की अगुआई वाले चक्र की रफ्तार पर असर डाले बिना। उनका मानना है कि ये सभी चीजें देखने को मिलेंगी और यह बढ़त को रफ्तार देने में मददगार होगा। इससे इक्विटी बाजार में उल्लास बना रहेगा।
वुड ने लिखा है, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कदमों का वॉल स्ट्रीट पर पडऩे वाले असर से भारतीय इक्विटी में होने वाली बिकवाली इसमें खरीदारी का मौका देगी।
इस बीच, मॉर्गन स्टैनली ने भारतीय इक्विटी के मूल्यांकन पर सवाल उठाया है और गुरुवार को उसने इस पर अपना रुख ओवरवेट से इक्वलवेट कर दिया और कुछ निवेश की निकासी की सिफारिश की। इससे पहले कई ब्रोकरेज फर्म मूल्यांकन पर सवाल उठा चुकी है।
महंगाई, मूल्यांकन की चिंता
पिछले कुछ हफ्तों में महंगाई की चिंता के बीच भारत के मुख्य सूचकांकों एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 में मू्ल्यांकन की चिंता के कारण 3.5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। उदाहरण के लिए बेंचमार्क निफ्टी अभी 12 महीने आगे की आय के 24 गुने पर कारोबार कर रहा है जबकि ऐतिहासिक औसत 17 गुना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकोंं ने पिछले कुछ सत्रों में 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की इक्विटी बेची है। सितंबर तिमाही में मिश्रित आय और प्रीमियम मूल्यांकन से विश्लेषकों का मानना है कि इसने ऐसे समय में सेंंटिमेंट पर असर डाला है जब निराशा की काफी कम गुंजाइश है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, उच्च महंगाई, कुछ देशों में कोविड के बढ़ते मामले और भारत में आय के मिश्रित सीजन के कारण वैश्विक संकेत लगातार कमजोर बने हुए हैं। बाजार को अपनी दिशा के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व व बैंंक ऑफ इंगलैंड की अगली बैठक का इंतजार है।