बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में निवेश करने वाले खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा करना काफी महत्वपूर्ण है। त्यागी ने कहा कि डिस्क्लोजर आधारित व्यवस्था और मर्चेंट बैंकरों व इश्यू जारी करने वालों की तरफ से ज्यादा पारदर्शिता इस व्यवस्था में भरोसे में सुधार लाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टमेंट बैंकर्स ऑफ इंडिया (एआईबीआई) की तरफ से इसकी समीक्षा होनी चाहिए मर्चेंट बैकर ड््यू डिलिजेंस में किस तरह के मानकों का अनुपालन करते हैं।
त्यागी ने कहा, हम आईपीओ के मूल्यांकन पर हुक्म नहीं देना चाहते। लेकिन कीमत अहम मसला है और पेशकश दस्तावेज में इसे विस्तार से बताया जाना चाहिए कि आखिर किस आधार पर कीमत तय हुआ, खास तौर से नई पीढ़ी की कंपनियों के मामले में जो मोटे तौर पर नुकसान उठा रही हैं। इन कंपनियों के अपने इकोसिस्टम व अपने पूंजीगत ढांचे हैं, ऐसे में इस बारे में निवेशकों को शिक्षित करना अहम है। त्यागी ने एआईबीआई की तरफ से बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में ये बातें कही।
इक्विटी के प्राथमिक बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी काफी ज्यादा बढ़ी है। इस वित्त वर्ष में नवंबर तक इक्विटी आईपीओ में खुदरा निवेशकों के आवेदनोंं की संख्या 5.43 करोड़ रही। 2019-20 में सिर्फ 76.9 लाख आवेदन मिले थे जबकि वित्त वर्ष 21 के दौरान इन निवेशकोंं ने 3.8 करोड़ आवेदन जमा कराए थे।
2019-20 व 2020-21 में मुख्य आईपीओ में खुदरा श्रेणी के औसत आवेदनों की संख्या प्रति आईपीओ क्रमश: 6.8 लाख व 13.64 लाख रही। 2021-22 में यह संख्या 15.65 लाख रही। आईपीओ में खुदरा निवेशकों की तरफ से निवेश 2019-20 के 5,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 8,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया और नवंबर 2021 तक यह आंकड़ा करीब 15,100 करोड़ रुपये रहा।
त्यागी ने कहा, सूचनाओं की विषमता की समस्या द्वितीयक बाजारों के मुकाबले प्राथमिक बाजारों में निश्चित तौर पर ज्यादा होगी। इसी वजह से सेबी ने बाजार में उतरने वाली नुकसान वाली कंपनियों के लिए खुदरा निवेशकों का कोटा 10 फीसदी रखा है, जो मुनाफा वाली कंपनियों के लिए 35 फीसदी है।
त्यागी ने कहा, अभी आईपीओ में मिलने वाली रकम के इस्तेमाल की निगरानी की व्यवस्था काफी कमजोर है और सेबी इसे मजबूत बनाने की प्रक्रिया में है। सेबी जल्द ही एंकर निवेशकों की निवेशित अवधि यानी लॉक इन अवधि बढ़ाने पर फैसला लेगा।
त्यागी ने कहा, यूपीआई की व्यवस्था कारगर रही है और निवेशकों को उत्साहित किया है। काफी नए इश्यू आए हैं और आईपीओ में एफपीआई की तरफ से निवेश भारत की प्रगति की कहानी में उसके भरोसे को प्रदर्शित करता है।
काफी आईपीओ आने वाले हैं, लेकिन ओमीक्रोन के बढ़ते मामले, महंगाई के दबाव और फेड की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतर की संभावना आईपीओ बाजार के लिए अहम अवरोधक हो सकते हैं। त्यागी ने कहा, आईपीओ को मंजूरी देने में लगने वाला समय घटाया गया है और नियामक की योजना आईपीओ व उसे सूचीबद्ध कराने के बीच का समय अगले वित्त वर्ष में 3 दिन करने का है, जो अभी 6 दिन है।
