ऐसे लोग जिन्होंने आगजनी, इंजीनियरिंग और वाहन बीमा की पॉलिसियां ले रखी हैं, उन्हें आनेवाले समय में अधिक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ सकता है।
इसकी वजह यह है कि गैर-जीवन बीमा कंपनियां मानकर चल रहीं हैं कि मार्च में जब बीमा पॉलिसियों का फिर से नवीनीकरण किया जाएगा तो उस समय पुनर्बीमा कमीशन की दरों में बढ़ोतरी हो सकती है।
हालांकि बीमा कंपनी के एक अधिकारी के अनुसार पुनर्बीमा कंपनियां सहमी हुई हैं क्योंकि उन्हें डर है कि गैर-जीवन बीमा कंपनियां अपने कारोबार में और अधिक तेजी लाने के लिए बड़े पैमाने पर छूट दे सकती हैं। ऐसे हालात में पुनर्बीमा की दरों में मजबूती आने के कम ही आसार दिखाई दे रहे हैं। पिछले साल निर्धारित शुल्क सीमा खत्म होने के बाद बीमा कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छूट दीं।
अब पुनर्बीमा कंपनियां इस बात को लेकर दुखी हैं कि उन्हें उसी कीमत पर फिर से बीमा करना पड़ेगा जबकि प्रीमियम से होनेवाली आय में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होगी। इस उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कमीशन की दर वित्त वर्ष 2007-08 में 45 फीसदी के स्तर से गिरकर वर्ष 2008-09 में 30-35 फीसदी के स्तर पर आ पहुंची है।
इस दर के आगामी वित्त वर्ष में और गिरकर 25 फीसदी तक चले जाने की संभावना है। उल्लेखनीय है बड़े सौदों के लिए फैकल्टेटिव रिइंश्योरंस पर कमीशन की दरें 10 फीसदी के आसपास हैं।
हालांकि ये दरें विभिन्न उत्पादों के अनुसार परिवर्तित होती रहती हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में प्रीमियम की मनचाही दर वसूलने के फैसले बाद पुर्नबीमा की दरों पर काफी दबाव में आ गया था और आगजनी, इंजीनियरिंग और परिसंपत्ति क्षेत्र से प्रीमियम का संकलन करनेवाली बीमा कंपनियों के लिए इसमें 50 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है।
इस उद्योग के लिए इन क्षेत्रों से आनेवाले प्रीमियम का योगदान 30 फीसदी तक का होता है। ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष एम रामदॉस ने कहा कि प्रति वर्ष पुनर्बीमा की दरों में मजबूती आना चिंताजनक बात है।
यहां तक कि पिछले साल भी निर्धारित प्रीमियम दरों की समाप्ति के बाद चिंता और भी गहरा गई थी लेकिन सिर्फ कमीशन की दरों में ही कमी आई। रामदॉस के अनुसार प्राकृ तिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान और भूकंप जैसी आपदाओं के लिए दरों में बढ़ोतरी हो सकती है।
