नियामकीय सख्ती ने परिसंपत्ति प्रबंधकों के बीच रिस्क पेशेवरों की मांग बढ़ा दी है। पिछले साल सितंबर में जारी एक सर्कुलर में बाजार नियामक सेबी ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) से निवेश प्रबंधन, अनुपालन, परिचालन और साइबर जोखिम को देखते हुए 1 अप्रैल 2022 तक चीफ रिस्क ऑफिसर (सीआरओ) के साथ जोखिम अधिकारियों को नियुक्त करने को कहा था।
44 एएमसी में से एक-तिहाई से ज्यादा के पास पिछले साल तक सीआरओ नहीं थे और अब इस तरह की प्रतिभा की तलाश अनिवार्य बना दी है। इस वजह से बैंक, एनबीएफसी, बीमा कंपनियां और कंसल्टेंसी कंपनियां पसंदीदा बनकर उभर रही हैं।
जिन एएमसी के पास जोखिम प्रमुख थे भी, वे भी बेहतर अनुभव वाले वरिष्ठ पेशेवरों की तलाश में बाजार में पहुंची हैं। जानकारों के अनुसार, एएमसी ने पिछले 6 महीनों में करीब 100-150 रिस्क ऑफीसर जोड़े हैं और यह संख्या आगामी महीनों में और बढऩे की संभावना है।
एक बड़े बैंक प्रायोजित फंड हाउस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यदि आप सब कुछ रातोंरात स्थापित करना चाहते हैं तो नियामकीय शर्तों को पूरा करना आसान कार्य नहीं है। खासकर, छोटी एएमसी को काम करने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है और बड़े परिचालन खर्च से जूझना पड़ सकता है।’ इस फंड हाउस की रिस्क टीम में मौजूदा समय में 20 से ज्यादा लोग शामिल हैं।
एक छोटे फंड हाउस के मुख्य अधिकारी ने कहा, ‘सीआरओ तलाशना एक कठिन कार्य है और हमें आखिरकार किसी ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करना होगा जो जल्द हमारे साथ जुड़ सके।’
इस तरह की नियुक्तियों से उद्योग के लिए लागत बढऩे की भी आशंका है। औसत तौर पर, रिस्क ऑफीसर के लिए वेतन 30-60 लाख रुपये सालाना के दायरे में हो सकता है और मुख्य जोखिम अधिकारी 1 करोड़ रुपये तक कमाते हैं। इन प्रतिभाओं के अभाव से कुछ एएमसी को ‘स्टॉप-गैप अरेंजमेंट’ पर विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ा है जिसमें आंतरिक टीमों में फेरबदल भी शामिल है।
मिरई ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के मुख्य कार्याधिकारी स्वरूप मोहंती ने कहा, ‘जोखिम प्रबंधन फंड प्रबंधन व्यवसाय का प्रमुख गैर नॉन-नेगोशिएबल हिस्सा है। मैं गैर-प्रदर्शन पर अपना रोजगार गंवा सकता हूं, लेकिन गैर-अनुपालन पर नहीं।’ परिसंपत्ति प्रबंधक ने पिछले साल अपने रिस्क और कॉम्पलायंस खंडों को अलग किया था। उसके कॉम्पलायंस खंड में अभी पांच लोग और जोखिम विभाग में अन्य चार लोग हैं, जिसकी कमान मनीष झा द्वारा संभाली जा रही है।
रिस्क पेशेवरों की ज्यादा संख्या का मतलब अधिक सख्ती और जांच तथा जोखिम पर रिपोर्टिंग होना।
सेबी के सर्कुलर के अनुसार, एएमसी के पास ऐसा सीआरओ होना चाहिए, जो म्युचुअल फंड परिचालन के संपूर्ण जोखिम प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हो। एक अन्य फंड हाउस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बड़ी एएमसी समेत हर किसी को सही लोगों को तलाशने में संघर्ष करना पड़ रहा है। सीआरओ पर व्यापक स्तर की जिम्मेदारियां होंगी।’
