नवंबर में म्युचुअल फंड हाउसों के असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) में सात फीसदी की गिरावट रही है। इन फंड हाउसों की संपत्ति में लगातार तीसरे माह गिरावट देखी गई है।
यह बात एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड इंडस्ट्रीज (एएमएफआई) के आंकड़ों में कही गई है। इस गिरावट के साथ अब तक सितंबर-नवंबर में म्युचुअल फंडों के कुल एयूएम में 26 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इस माह बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का बेंचमार्क सूचकांक 7.1 फीसदी गिरा।
फंड हाउसों के अनुसार अधिकांश गिरावट इक्विटी पोर्टफोलियो में बाजार में हुए नुकसान के कारण हुई। इस बारे में यूटीआई म्युचुअल फंड के मुख्य विपणन अधिकारी जयदीप भट्टाचार्य ने बताया कि बीते नवंबर में असेट में शेयर बाजार जितनी ही गिरावट हुई है। इस समय निवेशक सुरक्षा के साथ गुणवत्ता की ओर भाग रहे हैं।
हालांकि अब बाजार में नकदी की स्थिति बेहतर हुई है। पर अभी भी भी निवेशक फंड पोर्टफोलियो के पेपरों की गुणवत्ता को लेकर चिंतित हैं। हमारा 95 फीसदी एक्सपोजर एएए प्लस वाली प्रतिभूति में है। वास्तव में सच्चाई यह है कि जब संकट जारी था, तब भी हमारे पास शुध्द नकदी अधिशेष थी।
नवंबर में फंड हाउसों ने 3,598 करोड़ रुपये के के डेट बेचे जबकि अक्टूबर में यह बिक्री 26,081 करोड़ रुपये की थी। यह बात भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों में कही गई है ।
जबकि इक्विटी में फंड हाउसों ने अक्टूबर में 1,432 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी और वे शुध्द खरीदार थे, लेकिन नवंबर में शुध्द बिकवाल बने रहे। पिछले महीने रुझान में आए इस बदलाव का कारण डेट फंडों में आई रिडिंप्शन की लहर है।
कार्पोरेट जगत ने नकदी की तंगहाली से निपटने के लिए अपने निवेश का जमकर रिडिंप्शन किया। म्युचुअल फंड क्षेत्र का एएयूएम सितंबर के असेट बेस के आधार पर अक्टूबर में 18.37 फीसदी गिरा। इसके बाद से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सिस्टम में तरलता बढ़ाने के लगातार प्रयास किए।
इसके तहत केंद्रीय बैंक ने ब्याज और अन्य दरों में कटौती केसाथ फंडों के लिए विशेष सुविधा बनाई।
अभी भी फंड मैनेजरों को लगता है कि दिसंबर में तीसरी तिमाही के लिए होने वाले अग्रिम कर भुगतान के मद्देनजर खासतौर पर लिक्विड फंडों में निवेशक अपने पैसे निकाल सकते हैं।