पिछले महीने प्रमुख सूचकांकों में 13 महीने का निचला स्तर छुए जाने के बाद अब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा बाजारों को मदद मिलने की संभावना बढ़ रही है। पिछले पखवाड़े में, वैश्विक फंडों द्वारा औसत दैनिक बिकवाली पूर्ववर्ती पखवाड़े के करीब 3,500 करोड़ रुपये के मुकाबले काफी घटकर 1,400 करोड़ रुपये से भी कम रह गई। इससे बाजारों को फिर से वापसी करने में मदद मिली है। 17 जून को निफ्टी मई 2021 के बाद से अपने सबसे निचले स्तरों पर बंद हुआ था और तब से बाजार 5 प्रतिशत चढ़ा है। इससे पूर्ववर्ती पखवाड़े में इसमें 8 प्रतिशत की कमी आई।
एमके इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स में फंड प्रबंधक सचिन शाह ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि एफपीआई बिकवाली के संदर्भ में बुरा समय बीत चुका है। अब बिकवाली का आखिरी चरण देखा जा सकता है। पिछले कुछ कारोबारी सत्रों में, एफपीआई द्वारा बिकवाली की तीव्रता घटकर 1,000-1,500 करोड़ रुपये रह गई है और कुछ सत्रों में शुद्ध खरीदारी हुई है। आंकड़ों से पता चलता है कि बिकवाली का दबाव काफी हद तक घट गया है। लेकिन विदेशी निवेशक कब से मजबूती के साथ खरीदारी शुरू करेंगे, इस बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है।’
मंगलवार को, एफपीआई करीब 1,300 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे। एफपीआई धारणा में बदलाव बॉन्ड बाजारों में तेजी की वजह से भी दिखा है, क्योंकि वैश्विक जिंस कीमतों में नरमी से इसे लेकर उम्मीद बढ़ी है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंक के पास मुद्रास्फीति के खिलाफ अपनी मुहिम में कम आक्रामक बनने की गुंजाइश रह जाएगी।
10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल पिछले साल के 3.47 प्रतिशत की ऊंचाई से 55 आधार अंक तक घटकर मौजूदा समय में 2.92 प्रतिशत पर रह गया है। भारत का 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड प्रतिफल भी पिछले महीने के 7.62 प्रतिशत के ऊंचे स्तर से 25 आधार अंक तक घटा है।
विश्लेषकों का कहना है कि बॉन्ड प्रतिफल में नरमी से संकेत मिलता है कि आक्रामक मौद्रिक सख्ती को लेकर आशंका काफी हद तक घटी है। साथ ही, हाल के महीनों में अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल और उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह की स्थिति भी मजबूत दिखी है।
विश्लेषकों का कहना है कि ईएम के मुकाबले डॉलर में कमजोरी से लगातार विदेशी प्रवाह दर्ज किया जाएगा।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘जून के अंत से, एफपीआई बिकवाली में कमी का रुझान दर्ज किया गया है। यदि जुलाई में बाजार पहली तिमाही के अच्छे नतीजों की उम्मीद से चढ़ता है तो एफपीआई फिर से मुनाफावसूली कर सकते हैं। यह रुझान तभी रुक सकता है, जब डॉलर स्थिर हो और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में कमी आए।’
