केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व समूह परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यन को कई दिन पूछताछ के बाद आज रात चेन्नई में गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
देश के इस सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में अनियमितताओं के संबंध में ताजा खुलासों के बीच यह गिरफ्तारी को-लोकेशन घोटाले से संबंधित मामले में की गई है, जिसके लिए एफआईआर कुछ साल पहले दर्ज की गई थी। सीबीआई ने एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और सीईओ चित्रा रामकृष्णा और एक्सचेंज के पूर्व मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) रवि नारायण से भी पूछताछ की है। इस महीने की शुरुआत में सेबी की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि चित्रा ने एनएसई में वर्ष 2013 से 2016 तक अपने कार्यकाल के दौरान एक अज्ञात ‘हिमालय के योगी’ की सलाह से अहम फैसले लिए, जिससे वह कभी नहीं मिलीं और उसने ही उन्हें सुब्रमण्यन को समूह परिचालन अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
सुब्रमण्यन को एनएसई का मुख्य रणनीतिक सलाहकार बनने के लिए 1 अप्रैल 2013 से सालाना 1.68 करोड़ रुपये का वेतन दिया गया। उस समय सुब्रमण्यन बामर लॉरी ऐंड कंपनी की सहायक ट्रांसेफ सर्विसेज लिमिटेड में लीजिंग एवं रिपेयर सेवाओं के उपाध्यक्ष थे। उनका सालाना वेतन 15 लाख रुपये से कम था। सेबी ने इस महीने की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट में कहा कि सुब्रमण्यन की नियुक्ति में उचित मानदंडों का इस्तेमाल नहीं किया गया।
सुब्रमण्यन का वेतन तीन साल से भी कम समय में सप्ताह में चार दिन सलाहकार के रूप में काम करने के लिए बढ़कर 4.2 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
इसके बाद सुब्रमण्यन को 1 अप्रैल 2015 से समूह परिचालन अधिकारी (जीओओ) और एमडी का परामर्शदाता बना दिया गया, लेकिन उन्हें एनएसई द्वारा कभी अहम प्रबंधन कार्मिक घोषित नहीं किया गया। सेबी ने सुब्रमण्यन की नियुक्ति में प्रशासनिक नियमों की अनदेखी के लिए एनएसई, रामकृष्णा और नारायण पर जुर्माना लगाया था। रामकृष्णा, नारायण, सुब्रमण्यन और एनएसई, प्रत्येक को 2 करोड़ रुपये चुकाने को कहा गया था। रामकृष्णा और सुब्रमण्यन पर तीन साल के लिए किसी भी हैसियत से बाजार बुनियादी ढांचा संस्थान या सेबी पंजीकृत मध्यवर्ती इकाई से जुडऩे पर रोक लगाई गई। नारायण पर दो साल की रोक लगाई गई। सीबीआई की चार साल पुरानी एफआईआर मुख्य रूप से ओपीजी सिक्योरिटीज के एमडी संजय गुप्ता के खिलाफ थी। सीबीआई की एफआईआर में इस विवाद में भूमिका के लिए उनके जीजा अमन कोकराडी एवं एनएसई द्वारा नियुक्त एक डेटा विश्लेषक एवं शोधार्थी अजय शाह, एसनई तथा सेबी के अज्ञात अधिकारियों के नाम भी शामिल किए गए। एनएसई ने जून 2010 से मार्च 2014 के बीच अपनी कोलो फैसिलिटी में टिक-बाई-टिक (टीबीटी) व्यवस्था लागू की थी। टीबीटी डेटा फीड क्रमिक रूप से भेजती थी, जिसमें कोलो सर्वर से पहले कनेक्ट होने वाले कारोबारी सदस्यों को प्राथमिकता दी जाती थी।
