यदि आईएफएससीए द्वारा नियुक्त समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया जाता है तो भारतीय निवेशक जल्द ही गुजरात के इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) में स्थापित एक्सचेंजों पर सूचीबद्घ प्रतिभूतियों में निवेश करने में सक्षम हो सकते हैं।
इन प्रतिभूतियों में वैश्विक डिपोजिटरी रिसीप्ट्स (जीडीआर), वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ), म्युचुअल फंड (एमएफ), रीट और खासकर इनविट शामिल हैं जिन्हें विदेशी कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है।
तीन महीने पहले गठित सात सदस्यीय समिति ने बुधवार को आईएफएससी में खुदरा भागीदारी बढ़ाने के लिए कई उपायों का सुझाव दिया।
इनमें से एक सुझाव स्थानीय निवासियों को लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) विकल्प के जरिये आईएफएससी में एआईएफ या एमएफ में निवेश की अनुमति देना भी शामिल है। एलआरएस के तहत कोई व्यक्ति जीडीआर, म्युचुअल फंड, रीट और इनविट जैसी प्रतिभूतियों और विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्घ विदेशी कंपनियों के इक्विटी शेयरों में निवेश के लिए हर वित्त वर्ष में 250,000 डॉलर तक की रकम भेज सकता है। इससे स्थानीय निवासियों को विदेश में विभिन्न विकल्पों तक पहुंच मिल सकती है।
हालांकि फिलहाल आरबीआई ने भारतीयों को आईएफएससी में निवेश के लिए एलआरएस प्रेषण के विकल्प का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी है।
आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि एलआरएस विकल्प के तहत रकम का प्रेषण 2018-19 और 2019-20 में लगभग 13.8 अरब डॉलर और 18.8 अरब डॉलर दर्ज किया गया था।
विदेश केंद्रित और ऐसे कई वैश्विक फंडों में निवेश के लिए पूंजी में एलआरएस का बड़ा योगदान है जिन्हें सिंगापुर, हांगकांग और लंदन जैसे विदेशी वित्तीय केंद्रों से फंड प्रबंधकों द्वारा पारंपरिक तौर पर प्रबंधित किया जाता है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे फंड प्रबंधन आय, ब्रोकरेज आय और अन्य सहायक आय को मदद मिली है।
पीडब्लयूसी इंडिया में पार्टनर सुरेश स्वामी ने कहा, ‘स्थानीय निवासियों को एआईएफ या एमएफ में निवेश की अनुमति देने से आईएफएससी में स्थापित ऐसे फंडों के लिए समान क्षेत्र तैयार होगा। इससे भारतीय फंड प्रबंधकों को आईएफएससी में एलआरएस रकम का प्रबंधन करने में भी मदद मिलेगी और फंड प्रबंधन आय तथा अन्य सहायक आय भारत लाने में काफी हद तक आसानी होगी।’
मौजूदा नियम डेरिवेटिव या किसी अन्य वित्तीय विकल्प के साथ साथ मार्जिन कॉल की फंडिंग में एलआरएस के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देते। यह एक बड़ी समस्या हो सकती है, क्योंकि ज्यादातर उत्पाद अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर कारोबार करते हैं, चाहे यह मुद्रा, जिंस हो या इक्विटी।
स्वामी ने कहा, ‘आरीआई को एलआरएस योजना के तहत आईएफएससी एक्सचेंज के लिए मार्जिन या मार्जिन कॉल के संदर्भ में रकम प्रेषण की अनुमति देनी चाहिए जिससे लोगों को आईएफएससी में सूचीबद्घ विदेशी कंपनियों के डेरिवेटिव्स में कारोबार की अनुमति मिल सके।’
