शेयर बाजारों में सौदा करने वालों के लिए यह साल काफी नाटकीय रहा है। इस पर विचार कीजिये : बेंचमार्क सेंसेक्स में रोजाना उतारचढ़ाव 3 फीसदी से ज्यादा रहा है यानी दिन के उच्चस्तर और निचले स्तर का अंतर। ऐसी स्थिति इस साल के 123 कारोबारी सत्रों में से 27 में देखी गई है। यह कुल कारोबारी सत्र का पांचवां हिस्सा है। इसकी तुलना में बाजार में इस तरह का उतारचढ़ाव साल 2008-09 के वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान देखा गया था। साल 2008 और 2009 की पहली छमाही में ऐसे क्रमश: 45 व 39 कारोबारी सत्र रहे थे जब सेंसेक्स ने कारोबारी सत्र में 3 फीसदी से ज्यादा का उतारचढ़ाव देखा गया था।
इस साल बाजार में उतारचढ़ाव कोविड-19 महामारी और उसके चलते हुए लॉकडाउन व आर्थिक झटकों के कारण देखने को मिला है। विशेषज्ञों ने कहा कि उतारचढ़ाव किसी शेयर बाजार की अंतनिॢहत प्रकृति होती है और पिछले कुछ वर्षों में सापेक्षिक शांति इस प्रवृत्ति से हटकर दिखी है।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने कहा, साल 2008-09 के वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान काफी उतारचढ़ाव देखा गया था। उसके बाद वैश्विक इक्विटी बाजार में उतारचढ़ाव करीब-करीब बंद हो गया था। साल 2010 और 2019 के बीच हमने काफी कम उतारचढ़ाव देखा। हालांकि कोविड-19 ने उसे झटका दिया है। इस साल जो रहा है वह असामान्य नहीं है, असामान्य अवधि 2009 से 2019 की थी।
इस साल होने वाला उतारचढ़ाव अमेरिका जैसा है। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल ऐवरेज (अग्रणी 100 अमेरिकी कंपनियों का इंडेक्स) ने 33 कारोबारी सत्र में 3 फीसदी से ज्यादा का उतारचढ़ाव दर्ज किया है।
डाल्टन कैपिटल इंडिया के निदेशक यू आर भट्ट ने कहा, यह स्थिति काफी अप्रत्याशित है क्योंकि हमने ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी जहां चार महीने तक महामारी हो और वह भी कुछ उपचारात्मक समाधान खोजे बिना। पहले भी महामारी हुई है लेकिन अब हम एक दूसरे जुड़ी हुई दुनिया में रह रहे हैं। इसी वजह से बाजार में ज्यादा उतारचढ़ाव है लेकिन वे नहीं जानते कि किस ओर जाना है। ज्यादा संभव है कि उतारचढ़ाव कोविड-19 का समाधान खोजे जाने और अमेरिकी चुनाव पूरा होने तक जारी रहे।
विशेषज्ञों ने कहा कि उच्च उतारचढ़ाव ट्रेडरों के लिए बेहतर होता है और यह लंबी अवधि के निवेशकों को हतोत्साहित कर सकता है। भट्ट का मानना है कि दूसरी छमाही में उच्च उतारचढ़ाव से काफी कम राहत मिल सकती है क्योंंकि अमेरिकी चुनाव होने वाले हैं और इस पर भी अनिश्चितता है कि कंपनी की आय व आर्थिक रफ्तार किस तरह की होगी।
