मुद्रास्फीति और 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों पर प्रतिफल में तेजी ऐसे समय में दर्ज की जा रही है जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ब्याज दरें बढ़ानी शुरू कर दी हैं। उद्योग के जानकारों का कहना है कि इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, फ्लोटर फंड डेट बाजारों में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए विभिन्न डेट फंडों में उपयुक्त विकल्प हैं। पिछले कुछ महीनों में, फ्लोटर फंडों ने सख्त तरलता और औसत प्रतिफल की वजह से शुद्घ निकासी दर्ज की है। लेकिन हालात में बदलाव आने की संभावना जताई जा रही है।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़े से पता चलता है कि मार्च में फ्लोटर फंडों ने 7,338 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की। पिछले 6 महीनों में, इस श्रेणी ने 21,649 करोड़ रुपये की शुद्घ बिकवाली दर्ज की। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में वरिष्ठ फंड प्रबंधक (फिक्स्ड इनकम) मनीष बंथिया का कहना है, ‘3.75 प्रतिशत पर स्टैंडिंग डिपोजिट फैसिलिटी की पेशकश के साथ लिक्वीडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी कॉरिडोर सुधरकर 50 आधार अंक यानी महामारी से पूर्व के स्तरों पर वापस आ गया। बढ़ते ब्याज दर परिवेश की वजह से हमारा मानना है कि फ्लोटिंग यानी उतार-चढ़ाव आधारित दर के बॉन्ड अन्य सभी निर्धारित आय विकल्पों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।’
सामान्य फिक्स्ड रेट फंडों के विपरीत, फ्लोटर फंड कंपनियों या सरकार द्वारा जारी फ्लोटिंग दर की प्रतिभूतियों में न्यूनतम 65 प्रतिशत का निवेश करते हैं। फ्लोटिंग दर के बॉन्ड रीपो या तीन महीने के ट्रेजरी बिलों जैसी बेंचमार्क दरों से संबंधित कूपन की पेशकश करते हैं। कूपन में ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के आधार पर समय समय पर बदलाव किया जाता है। अक्सर ऐसे फंड बढ़ती ब्याज दर की स्थिति में उपयुक्त होते हैं।
वर्ष 2021 में, फ्लोटर फंडों की मांग बढ़ी थी, क्योंकि निवेशकों को उम्मीद थी कि आरबीआई दरें बढ़ाएगा। लेकिन बैंक ने आर्थिक वृद्घि को मजबूत बनाने के लिए अपने सहयोगात्मक नजरिये को बरकरार रखा। पिछले साल में, फ्लोटर फंडों ने 3.93 प्रतिशत का औसत प्रतिफल दिया, जो अल्पावधि और मध्यावधि फंडों के मुकाबले कम है।
बंथिया का कहना है, ‘हमने अपनी कई योजनाओं में फ्लोटिंग दर के बॉन्डों में अपना निवेश बढ़ाया है। यह बढ़ते ब्याज दर चक्र में अच्छा संकेत है। प्रभावी तौर पर, ब्याज दर वृद्घि का चक्र शुरू हुआ है और हमें कैलेंडर वर्ष 2022 में 100 आधार अंक की रीपो दर वृद्घि की उम्मीद है।’ मौजूदा परिवेश को देखते हुए बाजार कारोबारियों का कहना है कि अगले कुछ महीनों में दर वृद्घि हो सकती है और निवेशक अपने पोर्टफोलियो में फ्लोटर फंड, अल्पावधि बॉन्ड फंड, और मध्यावधि फंड शामिल करने पर विचार कर सकते हैं।
