विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) अमेरिका के वित्त मंत्री टिमोथी गाइटनर के 1 लाख करोड़ रुपये की राहत योजना से भले ही तसल्ली महसूस कर रहे होंगे लेकिन दूसरी ओर घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) हाल में ही शेयरों की कीमतों में आए उछाल का फायदा उठाकर अपनी कुछ हिस्सेदारी को बेचने में मशगूल हैं।
बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार डीआईआई, जिसमें म्युचुअल फंड, बैंक और बीमा कंपनियां शामिल हैं, ने पिछले छह कारोबारी सत्रों में 275.83 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने इसी अवधि में 2,678.24 करोड़ रुपये तक की खरीदारी की और उन्होंने महज 452 करोड़ रुपये की बिकवाली की।
घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 23 मार्च तक केवल 471.39 करोड़ रुपये तक की खरीदारी की। विश्लेषकों का कहना है कि इस मौके को निवेश प्रबंधक मुनाफा कमाने के बेहतर अवसर के तौर पर देख रहे होंगे। एक फंड मैनेजर का कहना है, ‘कुल लोग मुनाफा बनाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वे चाहते हैं कि उनके पास नकद रकम हो।
‘बिरला सनलाइफ इंश्योरेंस के मुख्य निवेश अधिकारी विक्रम कोटक का कहना है, ‘भारत में निवेश करने वाले ज्यादातर विदेशी संस्थागत निवेशक अपने पास नकद रकम की ज्यादा मात्रा रखना चाहते हैं। घरेलू संस्थागत निवेशक भी समान स्थिति में हैं। मार्च महीने में बीमा बहुत ज्यादा होता है और उससे इक्विटी की खरीदारी भी बढ़ती है।’
इसके अलावा वितरकों का कहना है कि निवेशकों पर पैसे निकालने का कोई दबाव नहीं है। एक ब्रोकिंग कंपनी के वितरक का कहना है, ‘कुछ फंड कंपनियों को यह संदेह था कि बाजार में उछाल आता है तो पैसे निकालने का कुछ दबाव हो सकता है।
