विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने निफ्टी और सेंसेक्स की आधे से ज्यादा कंपनियों में इस साल मार्च में समाप्त चौथी तिमाही के दौरान अपना हिस्सा घटा दिया है।
शेयर बाजारों के पास उपलब्ध 50 कंपनियों के शेयर होल्डिंग पैटर्न के अनुसार विदेशी निवेशकों ने चौथी तिमाही में 30 कंपनियों में अपनी होल्डिंग घटा दी है। इनमें रिलांयस कम्युनिकेशंस, टाटा मोटर्स और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) भी शामिल है।
इनमें से 14 कंपनियां ऐसी हैं, जिनमें एफआईआई ने एक प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी कम की है। हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया (सेल) ने दोनों शेयर बाजारों को अपनी ताजा शेयर होल्डिंग स्थिति के बारे में नहीं बताया है।
एफआईआई ने पिछली तिमाही के दौरान भारत के शेयर बाजारों से 8,700 करोड़ रुपये निकाले हैं। उन्होंने सुजलॉन एनर्जी, रिलांयस कैपिटल, पंजाब नेशनल बैंक और ऐक्सिस बैंक में अपनी हिस्सेदारी 2 से लेकर 5 प्रतिशत तक कम की है। सुजलॉन एनर्जी से सबसे ज्यादा-4.41 प्रतिशत हिस्सेदारी निकली है।
अब इस कंपनी में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 8.66 प्रतिशत बची है जो दिसंबर के अंत में यह 13.07 प्रतिशत थी। फिडेलिटी फंड्स मॉरीशस ने सुजलॉन में अपना हिस्सा दिसंबर के 3.06 प्रतिशत से घटाकर 1 फीसदी से भी कम कर लिया है।
रिलांयस कैपिटल में भी चौथी तिमाही में एफआईआई की हिस्सेदारी 3.63 प्रतिशत घटकर 20.43 फीसदी रह गई है जबकि सितंबर तिमाही में यह 24.06 प्रतिशत थी। क्वांटम एम ने पिछली तिमाही के दौरान कंपनी में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 1 प्रतिशत से भी कम कर ली है, जबकि दिसंबर की तिमाही में उसकी हिस्सेदारी 4.24 प्रतिशत थी।
रिलांयस इन्फ्रास्ट्रक्चर, लार्सन ऐंड टुब्रो, सन फार्मा, आइडिया सेल्युलर, भारती एयरटेल और गेल आदि में एफआईआई ने अपना हिस्सा 1 से 2 प्रतिशत तक कम कर लिया है। लेकिन आरआईएल, रिलांयस पावर, टाटा स्टील और विप्रो में विदेशी निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से थोड़ी कम बढ़ाई भी है। अलबत्ता उन्होंने मारुति सुजूकी, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, हीरो होंडा मोटर्स और यूनिटेक में पिछली तिमाही के दौरान 2 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा बढ़ाया है।
