कच्चे तेल में नरमी को देसी बाजार के लिए काफी सकारात्मक माना जा रहा है क्योंकि भारत इस जिंस का अहम आयातक है। यह हाल के महीनों में स्पष्ट भी हुआ है।
ब्रेंट क्रूड की कीमतें जून के शुरू में रहे 124 डॉलर प्रति बैरल से करीब 30 फीसदी घटकर इस महीने 90 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई हैं। बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स इस दौरान 18 फीसदी तक उछला है।
क्या तेल की कीमतों में और गिरावट शेयर की कीमतों में इजाफा जारी रखेगा? शायद नहीं। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की तरफ से हुए अध्ययन से यह पता चलता है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के रणनीतिकारों विनोद कार्की और नीरज करनानी ने एक नोट में कहा है, अगर पिछले दो दशक के आंकड़े किसी तरह का संकेत देते हों तो कच्चे तेल की कीमतों और निफ्टी के रिटर्न के बीच वक्रीय सह-संबंध है। यह बताता है कि कच्चे तेल का 90-100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे का दायरा व निफ्टी के प्रदर्शन के बीच सकारात्मक सह-संबंध होता है, लेकिन यह तब नकारात्मक बन जाता है जब कीमतें इस दायरे से आगे जाती हैं।
ऐसे में अगर तेल की कीमतों में और कमजोरी आती है तो यह शेयर बाजार के लिए मुश्किल भरा साबित हो सकता है। तेल की कीमतों में कमजोरी को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के लिए मुश्किल भरे संकेतक के तौर पर देखा जाएगा।
दोनों विश्लेषकों ने कहा, आपूर्ति के सामान्य माहौल के तहत कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी या गिरावट मांग में कमी या बढ़ोतरी को प्रतिबिंबित करती है, जो इक्विटी के लिए तेजी व मंदी का संकेतक होता है।
