बीएसई सेंसेक्स का मूल्यांकन यानी इस सूचकांक में शामिल 30 कंपनियों से संबंधित प्राइस-टू-अर्निंग (पी/ई) गुणक गिरकर अपने एक साल के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। इसकी वजह यह है कि पिछली दो तिमाहियों के दौरान कंपनियों के लाभ में बढ़ोतरी हुई है, जिससे प्रति शेयर आय (ईपीएस) में बढ़ोतरी हुई है मगर बाजार में कमजोरी आई है।
यह सूचकांक 26.8 गुना पी/ई गुणक पर बना हुआ है, जो पिछले साल अगस्त के बाद सबसे कम है। इसकी तुलना में सूचकांक की ईपीएस वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही के अंत में अब तक के सर्वोच्च स्तर 2,136 रुपये पर पहुंच गई। इससे सूचकांक की ईपीएस चालू कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से 50 फीसदी चढ़ चुकी है। यह वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के बाद महामारी पूर्व की ऊंची ईपीएस 1,795 रुपये के मुकाबले भी करीब 20 फीसदी ऊपर है।
सूचकांक का मूल्यांकन इस साल मार्च में सबसे ऊंचे स्तर पर था। उस समय यह करीब 35 गुना पी/ई पर बना हुआ था। सूचकांक का मौजूदा मूल्यांकन कैलेंडर वर्ष 2019 की पहली छमाही के बराबर है। उस साल जून में बाजार करीब 28 गुना पी/ई गुणक पर पहुंचा था। मगर कॉरपोरेट आय कर की दरों में कटौती के बाद 2019 की अंतिम तिमाही में मामूली तेजी आई थी।
भले ही पिछले छह महीनों के दौरान शेयरों का मूल्य नरम पड़ा हो, लेकिन बाजार बीते वर्षों में अपने मूल्यांकन की तुलना में महंगा बना हुआ है। मौजूदा पी/ई गुणक सेंसेक्स के पांच साल के औसत आय गुणक 25.8 गुना की तुलना में महज 4 फीसदी या 100 आधार अंक अधिक है इसके 10 साल के औसत आय गुणक 22.2 गुना से 463 आधार अंक या करीब 20 फीसदी ही अधिक है।
हाल में विदेशी ब्रोकरेज ने भारत में अधिक मूल्यांकन का हवाला देते हुए भारतीय शेयरों में कम निवेश की सलाह दी है। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि संस्थागत निवेशक अगले 12 से 18 महीनों के दौरान कॉरपोरेट लाभ और सूचकांक की ईपीएस वृद्घि में नरमी को लेकर चिंतित हैं। जेएम इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के प्रबंध निदेशक और मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘पिछले एक साल के दौरान कॉरपोरेट आमदनी में ज्यादातर बढ़ोतरी धातु, खनन, तेल एवं गैस और बैंकिंग जैसे चक्रीय क्षेत्रों की बदौलत हुई है। इन क्षेत्रों की कंपनियों को जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी और ब्याज दरों में भारी गिरावट का फायदा मिलता है। जिंसों के दाम घटने लगे हैं और ब्याज दरें बढऩे लगी हैं, जिससे आमदनी में नरमी आ सकती है।’
