इक्विटी म्युचुअल फंड के निवेशक अपनी इक्विटी योजनाओं से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि बैंक व वित्तीय कंपनियों के शेयर फिर से तेजी के अगुआ बन रहे हैं, जो मौजूदा वित्त वर्ष के ज्यादातर समय में पिछड़े हुए थे। वित्तीय क्षेत्र के अग्रणी शेयर म्युचुअल फंड मैनेजरों के लिए उम्दा दांव बन गए हैं। साल के पहले नौ महीने में उनके कमजोर प्रदर्शन ने ज्यादातर विशाखित लार्जकैप फंडों के प्रदर्शन पर असर डाला था।
ये चीजें अब बदलने वाली है। निफ्टी-50 में शामिल 11 बैंकों व वित्तीय कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण इस साल सितंबर के आखिर से अब तक 24 फीसदी चढ़ा है जबकि इस अवधि में बेंचमार्क सूचकांक में 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। शुक्रवार को इन बैंकों व वित्तीय कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 27.5 लाख करोड़ रुपये था जबकि सितंबर के आखिर में यह 22.2 लाख करोड़ रुपये रहा था। तेजी से इन क्षेत्रों का इंडेक्स में भारांक बढ़ा। बैंक व वित्तीय कंपनियों की हिस्सेदारी अब इंडेक्स में 37 फीसदी हो गई है, जो सितंबर के आखिर में 32.6 फीसदी थी और जुलाई के आखिर में तीन साल के निचले स्तर 32.5 फीसदी पर था।
यह विश्लेषण इस साल सितंबर के आखिर में इंडेक्स कंपनियों के शेयरधारिता पैटर्न और सोमवार के कारोबारी सत्र में म्युचुअल फंडों की मार्केट वैल्यू पर आधारित है। विश्लेषकों को इस क्षेत्र में और तेजी नजर आ रही है, जो इक्विटी एमएफ के एनएवी में इजाफा करेगा क्योंकि वित्तीय क्षेत्र की अग्रणी फर्मों में उनका भारी निवेश है।
सिस्टमैटिक्स इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के शोध प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, बैंंकिंग शेयरोंं में और तेजी बची हुई है क्योंंकि उनमें से ज्यादातर ने मार्च के निचले स्तर के बाद बाजार में आई तेजी में शायद ही भागीदारी की है। अब ये शेयर उसकी भरपाई कुछ समय तक व्यापक बाजार के मुकाबले बेहतर प्रदर्श के जरिए कर सकते हैं। इससे इक्विटी एमएफ का प्रदर्शन मजबूत होगा क्योंकि इस क्षेत्र में उसका खासा निवेश है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकोंं के बाद म्युचुअल फंड वित्तीय शेयरों में सबसे बड़े गैर-प्रवर्तक शेयरधारक हैं। इस साल सितंबर के आखिर में एमएफ के पास वित्तीय शेयरों की 13 फीसदी हिस्सेदारी थी। इंडेक्स के 11 शेयरों में उनकी हिस्सेदारी की कीमत सोमवार को 3.53 लाख करोड़ रुपये थी। यह सभी इक्विटी योजनाओंं की संयुक्त प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियोंं को करीब 30 फीसदी है।
बजार नियामक सेबी के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल सितंबर के आखिर में सभी इक्विटी योजनाओं का संयुक्त एयूएम करीब 11.6 लाख करोड़ रुपये का था। इतने निवेश के बावजूद ज्यादातर बड़ी इक्विटी योजनाएं वित्तीय क्षेत्र पर अंडरवेट बनी हुई हैं जबकि इस क्षेत्र का बेंचमार्क सूचकांकों में खासा भारांक है।
इंडेक्स के कंपोजिशन में बदलाव के साथ म्युचुअल फंड योजनाएं अपने पोर्टफोलियो को जोडऩे के लिए वित्तीय क्षेत्र के शेयरों में अपना दांव बढ़ा सकती हैं। सिन्हा ने कहा, इससे उन फंडों का प्रदर्शन मजबूत हो सकता है। अन्य का हालांकि कहना है कि एमएफ निवेशकों के लिए वित्तीय शेयरों में मजबूती के कारण प्रदर्शन में इजाफा ज्यादा लंबा शायद नहीं टिकेगा क्योंंकि अनिश्चितता इस उद्योग को अपनी चपेट में ले रही है।
