वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2022 में कॉरपोरेट आय में शानदार तेजी के बावजूद पूंजीगत खर्च में सुधार नहीं आया है और निर्धारित परिसंपत्तियों में सूचीबद्ध कंपनियों का निवेश वित्त वर्ष 2022 में सालाना आधार पर महज 2.3 प्रतिशत बढ़ा, जो पिछले 6 वर्षों में धीमी रफ्तार है।
तुलनात्मक तौर पर, कंपनियों का संयुक्त शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2022 में सालाना आधार पर 63.5 प्रतिशत बढ़ा, जबकि शुद्ध बिक्री 31.1 प्रतिशत बढ़ी, जो एक दशक में सबसे तेज वृद्धि थी।
बिजनेस स्टैंडर्ड में नमूने में शामिल 955 गैर-वित्तीय कंपनियों ने वित्त वर्ष 2022 में 7.18 लाख करोड़ रुपये का संयुक्त शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 2021 में 4.39 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020 के 2.59 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले काफी अधिक है। कंपनियों की संयुक्त शुद्ध बिक्री जहां वित्त वर्ष 2021 में 66.43 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020 में 69.9 लाख करोड़ रुपये थी, वहीं वित्त वर्ष में यह बढ़कर 87 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। कुल मिलाकर, सालाना कॉरपोरेट आय वित्त वर्ष 2019 के 4.32 लाख करोड़ रुपये के कोविड-पूर्व स्तर से सालाना आधार पर 66 प्रतिशत बढ़ी। हालांकि समान अवधि में, भारतीय उद्योग जगत की निर्धारित परिसंपत्तियां वित्त वर्ष 2019 के अंत में करीब 41 लाख करोड़ रुपये से 22 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2022 के अंत में 49.8 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं।
ये आंकड़े संकेत देते हैं कि पूंजीगत खर्च के वित्त पोषण के बजाय कंपनियों ने पूंजी भंडार और शेयरधारकों के लिए ज्यादा लाभांश चुकाने के लिए अपनी आय और नकद प्रवाह में तेजी का इस्तेमाल किया। वित्त वर्ष 2022 के अंत में कंपनियां का नकदी एवं बैंक बैलेंस सालाना आधार पर 13.4 प्रतिशत बढ़कर 7.54 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि शेयरधारकों के लिए उनका लाभांश भुगतान पिछले वित्त वर्ष सालाना आधार पर 18.8 प्रतिशत बढ़कर 3.05 लाख करोड़ रुपये रहा। लाभांश में शेयर पुनर्खरीद के लिए नकदी खर्च शामिल है। नमूने में शामिल कंपनियों ने वित्त वर्ष 2022 में अपने शेयरधारकों को शेयर पुनर्खरीद के जरिये 33,254 करोड़ रुपये लौटाए, जो वित्त वर्ष 2021 के 34,271 करोड़ रुपये से सालाना आधार पर 3 प्रतिशत कम है हालांकि कुल लाभांश भुगतान सालाना आधार पर 22.2 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 2.71 लाख करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले 2.22 लाख करोड़ रुपये था।यह विश्लेषण बीएसई-500, बीसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप सूचकांकों में शामिल 955 कंपनियों के नमूने के सालाना लाभ-नुकसान और बैलेंस शीट पर आधारित है।
विश्लेषक इसके लिए पिछले वित्त वर्ष आय वृद्धि और पूंजीगत खर्च के बीच अंतर को जिम्मेदार करार देते हैं। जेएम
फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा का कहना है, ‘वित्त वर्ष 2022 में कॉरपोरेट राजस्व और लाभ में ज्यादातर वृद्धि ऊंची कीमतों की मदद से हासिल हुई और इसे खनन, धातु और तेल एवं गैस कंपनियों जैसे जिंस उत्पादकों द्वारा दर्ज की गई तेजी से
बढ़त मिली।’
