कोरोनावायरस के प्रसार और चीन में लॉकडाउन ने चीन व हॉन्ग-कॉन्ग के इक्विटी बाजारों को चोट पहुंचाई है। संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के बाद चीन व हॉन्ग-कॉन्ग इस साल अब तक के आधार पर एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले शेयर बाजार हैं। दिलचस्प रूप से ज्यादातर ब्रोकरेज फर्में एशिया प्रशांत पोर्टफोलियो (जापान को छोड़कर) में चीन को लेकर सबसे ज्यादा ओवरवेट थीं। हालांकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की खराब हालत को देखते हुए ज्यादातर रणनीतिकारों ने चीन को लेकर अपनी ओवरवेट पोजीशन घटानी शुरू कर दी है और अब वे इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया जैसे आसियान देशों पर दांव आजमा रहे हैं, जिन्हें जिंस की कीमतों में बढ़ोतरी से फायदा मिलता दिख रहा है। यह विगत के उलट है जब चीन के भारांक में कमी का सामान्य तौर पर मतलब भारत को आवंटन में बढ़ोतरी होता था।
जेफरीज के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने पिछले हफ्ते अपने साप्ताहिक नोट ग्रीड ऐंड फियर में लिखा था, एशिया प्रशांत पोर्टफोलियो (जापान को छोड़कर) में चीन को लेकर ओवरवेट पोजीशन इस हफ्ते चार फीसदी तक घट जाएगी, वहीं ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मलेशिया और थाइलैंड को लेकर भारांक क्रमश: 2 फीसदी, एक फीसदी, 0.5 फीसदी व 0.5 फीसदी बढ़ेगा। इस संबंध में आसियान देशों को लगातार कारोबार दोबारा खुलने का फायदा मिलता दिख रहा है।
एशिया और उभरते बाजारों में इंडोनेशिया सबसे आकर्षक गंतव्य के तौर पर उभर रहा है। एमएससीआई इंडोनेशिया इंडेक्स इस साल डॉलर के लिहाज से 9 फीसदी चढ़ा है जबकि विदेेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इकिक्वटी बाजारों में 3 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। इसकी तुलना में भारतीय बाजार डॉलर के लिहाज से 4 फीसदी नीचे है और एफपीआई देसी शेयरों से 1.3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा निकाल चुके हैं। जेफरीज का भारतीय बाजार को लेकर अभी 1.3 फीसदी ओवरवेट है और इंडोनेशिया को लेकर 4.3 फीसदी ओवरवेट।
आसियान बाजारों मसलन इंडोनेशिया को लेकर निवेशकों का सकारात्मक रुख फायदा दिखा रहा है क्योंंकि वहां आय अनुमान के मुताबिक हैं। इस महीने एक नोट में नोमूरा ने कहा था कि एशिया के ज्यादातर हिस्सों में नतीजे निराशाजनक रहे हैं और इन्होंने कमजोरी दिखाई है। हालांकि इंडोनेशिया और फिलिपींस ने बेहतर नतीजे पेश किए हैं और आय अपग्रेड भी देखने को मिला है, जिसकी वजह जिंस है। इसके उलट चीन की फर्मों की आय ने निवेशकों को निराश किया है, जिसकी वजह आपूर्ति शृंखला के अवरोध, नियामकीय अवरोध और आर्थिक रफ्तार में सुस्ती है। कोपले फंड रिसर्च के स्टीवन होल्डन (जो स्मार्टकर्मा प्रकाशित करता है) ने आसियान देशों को रेखांकित किया है और कहा है कि ये देश निवेशकों के बीच एक बार फिर जगह बना रहे हैं।
उन्होंंने कहा है, एशिया में सक्रिय फंडोंं (जापान को छोड़कर) में आसियान देशों को लेकर आवंटन पिछले दशक के मुकाबले लगातार घट रहा था, लेकिन अब संकेत मिले हैं कि निवेश का स्तर स्थिर होना शुरू हो गया है। साल 2012 के 21.98 फीसदी के उच्चस्तर से औसत होल्डिंग भारांक अक्टूबर 2020 में 7.44 फीसदी के निचले स्तर को छू गया था लेकिन तब से यह बढ़कर 9.47 फीसदी पर पहुंच गया है। आसियान बास्केट में इंडोनेशिया व सिंगापुर में देश के लिहाज से सबसे ज्यादा आवंटन है।
