सेंसेक्स ने पिछले हफ्ते 60,000 के आंकड़े को तकरीबन छू लिया था और निफ्टी 18,000 के करीब बंद हुआ। पिछले साल 23 मार्च को बाजार में चौतरफा बिकवाली के बीच सेंसेक्स फिसलकर 26,000 और निफ्टी 7,500 के करीब रह गया था। उस समय किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि दोनों सूचकांक इतनी जल्दी सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच जाएंगे।
बाजार के जानकारों का कहना है कि इस स्तर पर आने के बाद बाजार में गिरावट आ सकती है। लगभग सभी शेयरों का मूल्यांकन ऐतिहासिक औसत की तुलना में काफी ज्यादा है।
भारतीय शेयर बाजार की तेजी के पीछे कई कारण हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व और दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंकों की नरम मौद्रिक नीति, कोविड टीकाकरण में तेजी के साथ अर्थव्यवस्था और कंपनियों की आय में सुधार की उम्मीद, घरेलू संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों द्वारा बाजार में निवेश और चीन की सख्ती के बाद विदेशी निवेश का आना बाजार में तेजी के प्रमुख कारण हैं। मगर बाजार के मौजूदा स्तर को देखते हुए विशेषज्ञ निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस स्तर पर जोखिम-लाभ अनुपात प्रतिकूल हो सकता है।
एडलवाइस सिक्योरिटी में संस्थागत इक्विटी के प्रमुख आदित्य नारायण ने कहा, ‘उभरते बाजारों की तुलना में घरेलू बाजार के लगातार बेहतर प्रदर्शन से हम सतर्क हैं, खास तौर पर स्मॉल कैप्स में खासी तेजी आई है। इस तरह की स्थिति में हर बार स्मॉल कैप में तेज गिरावट आती रही है।’ अवेंडस कैपिटल स्ट्रैटजीज के सीईओ एंड्रयू हॉलैंड ने कहा कि लोगों को शेयरों के मूल्यांकन के बजाय इस पर ध्यान देना चाहिए कि संबंधित क्षेत्र अगले तीन साल में किस दिशा में जाएगा।
