घरेलू म्युचुअल फंड (एमएफ) प्रबंधकों ने नवंबर में अपनी खरीदारी में इजाफा किया, क्योंकि बाजारों ने 21 महीनों में अपनी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की। इक्विटी म्युचुअल फंडों ने 19,258 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे, जो जुलाई से सर्वाधिक है।
म्युचुअल फंड कारोबारियों का कहना है कि भारतीय बाजारों में गिरावट ने निचले स्तर पर प्रवेश के कुछ अवसर दिए हैं। नवंबर में, बीएसई का सेंसेक्स 3.8 प्रतिशत तक गिर गया था, जबकि बीएसई मिडकैप सूचकांक 2.33 प्रतिशत तक की गिरावट का शिकार हुआ था। फंडों की खरीदारी ने विदेशी निवेशकों द्वारा की गई भारी निकासी की वजह से पैदा हुए दबाव को नियंत्रित करने का काम किया, खासकर पिछले 6-7 कारोबारी सत्रों में, जब उन्होंने (एफआईआई) नए कोविड-19 वैरिएंट की चिंताओं के बीच 25,000 करोड़ रुपये की निकासी की थी।
यूनियन एएमसी के मुख्य कार्याधिकारी जी प्रदीपकुमार का कहना है, ‘ऐसे कई निवेशक हैं जिन्होंने शुरू में मुनाफावसूली की थी और अवसरों की तलाश कर रहे थे। बाजार में गिरावट के साथ हम निवेशकों को फिर से इक्विटी फंडों में निवेश करते देख रहे हैं। मूल्यांकन भी अब कुछ फैला हुआ लग रहा है, लेकिन भारतीय दीर्घावधि वृद्घि की कहानी मजबूत बनी हुई है और निवेशक दीर्घावधि नजरिये के साथ दांव लगा रहे हैं।’
अक्टूबर में इक्विटी फंडों में प्रवेश घट गया था, क्योंकि निवेशकों ने ऊंचे स्तरों पर लगातार मुनाफावसूली की। इक्विटी फंडों ने अक्टूबर में 5,214 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की, जबकि सितंबर में यह आंकड़ा 8,677 करोड़ रुपये था।
बाजार कारोबारियों का यह भी कहना है कि अक्टूबर में प्रवाह में कमजोरी इसलिए भी आई थी, क्योंकि उस महीने के दौरान बाजार में कोई नया एनएफओ नहीं आया था। पिछले कुछ महीनों में, उद्योग ने कई नए इक्विटी फंड पेश किए और एनएफओ में रिकॉर्ड मात्रा में पूंजी जुटाई।
जुलाई से, फंड हाउसों ने इक्विटी फंडों में एनएफओ से 27,151 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए। यदि एनएफओ की संख्या सभी योजनाओं की श्रेणियों को शामिल किया जाए तो यह राशि पिछले चार महीनों में और बढ़कर 57,000 करोड़ रुपये बैठती है।
हालांकि एसआईपी के जरिये आने वाला निवेश प्रवाह म्युचुअल फंड उद्योग के लिए एक प्रमुख राहत है। अक्टूबर और सितंबर में, एसआईपी का मासिक योगदान 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा। मौजूदा वित्त वर्ष में, एसआईपी के जरिये पूंजी प्रवाह 66,973 करोड़ रुपये पर रहा।
