रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा है कि देसी ब्रोकिंग उद्योग के राजस्व की रफ्तार वित्त वर्ष 22 के 30 फीसदी के मुकाबले नरम होकर वित्त वर्ष 23 में 5 फीसदी पर आ सकती है।
मौजूदा वित्त वर्ष में उद्योग 28,000 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड राजस्व अर्जित कर सकता है, जो वित्त वर्ष 21 के मुकाबले करीब 30 फीसदी ज्यादा होगा। बढ़त की रफ्तार हालांकि अगले वित्त वर्ष में घटकर एक अंक में आ सकती है।
इक्रा रेटिंग्स की उपाध्यक्ष (फाइनैंशियल सेक्टर रेटिग्स) समृद्धि चौधरी ने कहा, हमें लगता है कि विभिन्न देसी व अंतरराष्ट्रीय संकेतों के बीच बाजारों में आगे उतारचढ़ाव बना रहेगा। वॉल्यूम मेंं हालांकि मासिक आधार पर बढ़ोतरी दर्ज हुई है, जिसकी अगुआई डेरिवेटिव सेगमेंट ने की, लेकिन लंबे समय तक पूंजी बाजार की सुस्ती का नकदी कारोबार व पूंजी बाजार के अन्य सहायक कारोबारों पर असर हो सकता है, जिससे उद्योग की आय प्रभावित हो सकती है।
वित्त वर्ष 22 के पहले नौ महीने में रोजाना औसत कारोबार 2.3 गुना बढ़कर 63 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 21 में 28 लाख करोड़ रुपये रहा था और वित्त वर्ष 20 के 14.4 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले उसमें 4.4 गुने की उछाल दर्ज हुई है।
इक्रा ने कहा, बढ़त को देसी व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनुकूल नकदी, उम्मीद से बेहतर कंपनी नतीजे, आर्थिक गतिविधियों के जोर पकडऩे, इंटरनेट के प्रसार और खुदरा निवेशकों की खासी भागीदारी से सहारा मिला है।
इक्रा ने 18 ब्रोकरेज फर्मों का विश्लेषण किया है और उन्होंंने वित्त वर्ष 21 में राजस्व में 38 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। उनकी लागत का ढांचा और परिचालन दक्षता भी पिछले कुछ सालों में सुधरी है क्योंकि उनका ध्यान डिजिटल चैनलो के जरिए ग्राहक हासिल करने आदि पर रहा है। इक्रा ने कहा है कि उद्योग का परिदृश्य स्थिर बना हुआ है।
