डॉलर मजबूत होने और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने से दुनिया भर के बाजार लुढ़के तो देसी शेयर बाजार में भी आज लगातार चौथे दिन तेज गिरावट दर्ज की गई। फेडरल रिजर्व के अत्यधिक सख्त मौद्रिक नीति वाले रुख से 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 3.8 फीसदी पर पहुंच गया। 11 साल में पहली बार प्रतिफल यहां तक पहुंचा है।
इधर डॉलर भी मजबूत होकर रुपया तथा पाउंड सहित अधिकांश वैश्विक मुद्राओं की तुलना में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिकी बॉन्ड बाजार वैश्विक मंदी का संकेत दे रहा है, जिसकी वजह से निवेशक जोखिम वाली संपत्तियों से निवेश निकाल रहे हैं।
बेंचमार्क सेंसेक्स 953 अंक लुढ़ककर 57,145 पर बंद हुआ जो 27 जुलाई के बाद इसका निचला स्तर है। सेंसेक्स पिछले चार कारोबारी सत्र में 2,574 अंक या 4.3 फीसदी टूट चुका है। निफ्टी 311 अंक नीचे 17,016 पर बंद हुआ। बाजार में चौतरफा बिकवाली देखी गई और स्माल एवं मिडकैप सूचकांकों में 3 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई।
बाजार में उतार-चढ़ाव का अंदाज देने वाला वीआईएक्स सूचकांक 6.1 फीसदी चढ़कर 22 के करीब पहुंच गया। विशेषज्ञों ने कहा कि वीआईएक्स सूचकांक से बाजार में भारी उतार-चढ़ाव का संकेत मिल रहा है। विदेशी निवेशकों ने 5,101 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले।
इस बीच, रुपया भी सर्वकालिक निचले स्तर 81.62 पर बंद हुआ। 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल 7.36 फीसदी पर पहुंच गया। पिछले 15 दिन में यह करीब 30 आधार अंक चढ़ा है। प्रतिफल बढ़ने का मतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक भी दर में ज्यादा इजाफा करेगा।
अत्यधिक सख्त मौद्रिक रुख पर कुछ समय से चिंता बनी हुई है, लेकिन वैश्विक बाजारों की तुलना में देसी बाजार ने ज्यादा लचीलापन दिखाया है। बहरहाल रुपये में नरमी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली से बाजार पर भी असर पड़ रहा है।
अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के सीईओ एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘पाउंड सहित प्रमुख मुद्राओं में नरमी देखी जा रही है जिसका मतलब है कि डॉलर मजबूत हो रहा है। रुपये में नरमी की वजह से हमारा आयात भी यूरोप की तरह महंगा हो जाएगा और ऐसा हुआ तो बड़ी वित्तीय समस्या हो सकती है।’
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पिछले हफ्ते फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 75 आधार अंक का इजाफा किया था और आगे दरें और बढ़ाने के संकेत दिए थे। अब नवंबर और फरवरी में भी 75-75 आधार अंक की बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है।
विश्लेषकों ने कहा कि निवेशक देख रहे हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और कंपनियों की आय पर दर बढ़ोतरी का कितना असर पड़ सकता है क्योंकि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए वृद्धि को ताक पर रखते दिख रहे हैं। आईआईएफएल सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी संदीप भारद्वाज ने कहा, ‘अमेरिका और यूरोपीय देशों में मंदी के डर और रूस-यूक्रेन युद्ध एवं चीन में राजनीतिक अनिश्चितता से वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रति चिंता बढ़ रही है। मंदी से हमारे देश के निर्यात पर भी असर पड़ेगा।’
हालिया गिरावट के बावजूद देसी बाजार जून के अपने निचले स्तर से अब भी 11 फीसदी ऊपर है जबकि अधिकतर वैश्विक बाजार कई साल के निचले स्तर पर आ गए हैं। एमएससीआई ऑल कंट्री सूचकांक 2020 के निचले स्तर पर आ गया है। मगर निफ्टी अब भी एक साल आगे के आय के अनुमान से 19 गुना पर कारोबार कर रहा है, जो इसके ऐतिहासिक औसत 16 गुना से अधिक है।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर हर तीसरा शेयर गिरावट पर बंद हुआ। सेंसेक्स में 7 शेयरों को छोड़कर सभी नुकसान में रहे। रिलायंस इंडस्ट्रीज 2.5 फीसदी और आईसीआईसीआई बैंक 2.5 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ। आईटी सूचकांक को छोड़कर सभी क्षेत्रीय सूचकांक नुकसान में रहे।