जब शेयर बाजार ने गोता लगाया तो दो फंड एकदम से उभर कर आए- यूटीआई डिविडेंड ईल्ड और बिड़ला सन लाइफ डिविडेंड यील्ड प्लस।
इन फंडों ने न केवल बाजार की उठापटक से अपने को बचाया बल्कि दूसरे डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंडों से बेहतर प्रदर्शन भी किया। तेजी के पिछले दौर में (15 जून, 2006 से 8 जनवरी, 2008) यूटीआई डिविडेंड यील्ड ने 73 फीसदी का कुल रिटर्न दिया था। इससे यह दूसरे फंडों से आगे निकल गया।
इस फंड ने इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंडों के औसत रिटर्न से भी बेहतर रिटर्न दिया। इसके तुरंत बाद जो गिरावट आई, उस दौरान यह दूसरों की तुलना में सबसे कम गिरा। इस फंड ने यह धारणा भी तोड़ दी कि डिविडेंड यील्ड फंड केवल गिरते बाजार में ही चमकते हैं। बिड़ला सन लाइफ डिविडेंड यील्ड प्लस के साथ मामला दूसरा है। तेजी के दौर में फंड ने 57.11 फीसदी रिटर्न दिया जो कैटगरी के औसत से कम था।
फंड प्रबंधक
यूटीआई डिविडेंड यील्ड की फंड मैनेजर स्वाति कुलकर्णी डिविडेंड यील्ड की कैटगरी में एक बेहतरीन फंड मैनेजर साबित हुई हैं। उन्होंने सभी तरह के बाजार में (मंदी और तेजी) अपने प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर प्रदर्शन किया है और यह केवल किस्मत की बात नहीं है।
अपने फैसलों को लेकर उनकी समझ और उस पर विश्वास ने उन्हें यह नतीजे दिए। लेकिन बदकिस्मती से बिड़ला फंड की बागडोर एक हाथ में नहीं रहने का खमियाजा भी भुगतना पड़ा। फंड मैनेजरों में लगातार फेरबदल से उनकी निवेश रणनीति पर बेशक असर पड़ा है लेकिन ज्यादातर एग्रेसिव कॉल काफी सतर्कता से ली गई हैं।
सेक्टर कॉल
साल 2007 में दोनों ही फंड मैनेजर एनर्जी सेक्टर में एलोकेशन बढ़ाने पर फोकस करने लगे। साल के अंत तक इन दोनों ही फंडों का इसी सेक्टर में सबसे ज्यादा एलोकेशन था। बीएसई पावर ने 122 फीसदी का रिटर्न दिया जबकि बीएसई ऑयल ऐंड गैस ने 115 फीसदी का रिटर्न दिया।
लेकिन बिड़ला फंड में यह सेक्टर 21.80 फीसदी तक पहुंचा जबकि यूटीआई डिविडेंड यील्ड के असेट में यह 31.47 फीसदी रहा। लेकिन बिड़ला सन लाइफ डिविडेंड यील्ड के निवेशकों को ताज्जुब नहीं होना चाहिए। यह फंड हमेशा सुरक्षित निवेश करता है और किसी एक सेक्टर में इसका एलोकेशन शायद ही कभी 20 फीसदी से ऊपर जाता हो।
देखा जाए तो इस फंड ने हमेशा हेल्थकेयर और एफएमसीजी शेयरों के प्रति झुकाव दिखाया है। साल 2007 में मेटल शेयरों में उसके निवेश का मामला देखें, जब एलोकेशन 3.85 फीसदी (अगस्त 2007) से 12.31 फीसदी (दिसंबर 2007) हो गया। साल 2005 में डाइवर्सिफाइड एलोकेशन 6.40 फीसदी से गिरकर 4.74 फीसदी रह गया था और बाद में यह फिर से महीने भर में 11.42 फीसदी तक पहुंच गया।
व्यक्तिगत शेयर
इनकी आक्रामकता केवल सेक्टरों की कॉल में ही नहीं बल्कि व्यक्तिगत शेयरों में भी दिखती है। यूटीआई डिविडेंड यील्ड उन शेयरों में भी निवेश करता है जो लोकप्रिय नहीं होते। साल 2007 में इस फंड का निवेश ऊंचे पीई वाले शेयरों में था, यूटीआई डिविडेंड यील्ड का औसत पीई (25.04) डिविडेंड यील्डिंग फंडों में सबसे ज्यादा था। बिड़ला सन लाइफ डिविडेंड यील्ड प्लस के पोर्टफोलियो का औसत पीई 14.16 था।
डाइवर्सिफिकेशन
यूटीआई डिविडेंड यील्ड के आक्रामक रुख अख्तियार करने के बावजूद यह फंड लार्ज कैप की ओर झुका है जबकि बिड़ला सन लाइफ डिविडेंड ईल्ड मिडकैप और स्मॉल कैप के शेयरों में वैल्यू देखता है। बिड़ला सन लाइफ डिविडेंड यील्ड ने बड़े व्यक्तिगत शेयरों का रुख किया था लेकिन फंड मैनेजरों के बदलने के साथ इस रुख में भी बदलाव गया।
दोनों ही फंड प्रदर्शन के चार्ट में सबसे ऊपर हैं लेकिन यह भी साफ है कि एक जैसे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दोनों के तरीके अलग अलग हैं। आप ऐसे फंड का चुनाव कर सकते हैं जो आपकी रणनीति पर सटीक बैठता हो।
