शेयर बाजार का मूल्यांकन तेजी से घटने के समय में वैसे फंड जो संकटग्रस्त परिसंपत्तियों (डिस्ट्रेस्ड ऐसेट) में निवेश करते हैं भारत में नये अवसरों की तलाश की शुरुआत करने जा रहे हैं।
अबू धाबी इन्वेस्टमेंट हाउस (एडीआईएच), ग्लोबल रियल्टी और यस बैंक सब अपने-अपने डिस्ट्रेस्ड फंड लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। हैलिकॉन और एडलवाइस के पास पहले से ही ऐसे फंड हैं। इन पांच कंपनियों के फंड जुटाने की प्रयासों को सम्मिलित रूप से देखा जाए तो ये लगभग 5,000 करोड़ रुपये बनता है।
सलाहकार कंपनी बीएमआर एडवाइजर्स के साझेदार शेफाली गोरादिया ने कहा, ‘निश्चित तौर पर संकटग्रस्त कारोबार में अधिकांश निवेशकों की दिलचस्पी है। नकदी की कमी से जूझ रही कंपनियां भी हमसे नीतिगत निवेशकों के लिए हमसे बातचीत कर रही हैं।’
सूत्रों के अनुसार, ऐसे फंडों की निगाह रियल एस्टेट, फार्मास्युटिकल्स और विमानन की तरफ है। गौरतलब है कि ये क्षेत्र मंदी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। केंद्रीय एशिया के सबसे बड़े निवेशक एडीआईएच डिस्ट्रेस्ड फंड के तौर पर तकनीक और फार्मास्युटिकल्स में निवेश करने की योजना बना रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक इनकी निगाह उत्तरी अफ्रीका, एशिया और यूरोप पर है। एडीआईएच ने बिजनेस स्टैंडर्ड के ई-मेल का जवाब नहीं दिया। नई दिल्ली स्थित ग्लोबल रियल्टी बिपिन अग्रवाल के नेतृत्व में 2,500 करोड़ रुपये का डिस्ट्रेस्ड ऐसेट फंड लॉन्च कर रही है।
अग्रवाल ने कहा, ‘देश में कई परियोजनाएं ऐसी हैं जो अधिकतम मूल्यांकन के 110 मूल्य पर अभी उपलब्ध हैं। अमेरिका और यूरोप के कई उत्सुक निवेशकों ने इस संदर्भ में हमसे पूछताछ की है।’ मुंबई स्थित हैलिकॉन एंटरप्राइजेज दो और डिस्ट्रेस्ड ऐसेट फंडों की योजना बना रही है। इनमें 500 करोड़ रुपये का एक घरेलू फंड और 750 करोड़ रुपये का अंतरराष्ट्रीय फंड शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय फंड ज्यादातर विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्डों (एफसीसीबी) में निवेश करेगा। वर्तमान में हैलिकॉन के डिस्ट्रेस्ड ऐसेट फंड का कोष 1,500 करोड रुपये का है और इसने कम से कम पांच कंपनियों में निवेश किया है। यस बैंक भी वेस्ट एशियन बैंक के साथ मिल कर इस महीने 500 करोड़ रुपये के फंड की योजना बना रहा है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञ इन कंपनियों द्वार और अधिक फंड जुटाए जाने की योजनाओं को लेकर आशावादी नहीं है। एक वैश्विक निवेश बैंक के कार्यकारी निदेशक ने कहा, ‘डिस्ट्रेस्ड ऐसेट में कई करोड़ रुपये के निवेश के लिए फंड जुटाना काफी कठिन है क्योंकि कुछ कानूनी मुद्दे भी संबध्द हो सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि अभी तक किसी ने इस क्षेत्र के अवसर को पूरी तरह पहचाना नहीं है।’
