उपभोक्ता वस्तु कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज पर अपने भारांश में लगातार गिरावट दर्ज कर रही हैं। बेंचमार्क निफ्टी50 सूचकांक में वाहन कंपनियों और एफएमसीजी कंपनियों का एकीकृत भारांश 11 साल के निचले स्तर तक लुढ़क चुका है। इन कंपनियों का एकीकृत भारांश तीन साल पहले 18.7 फीसदी था जो घटकर अब 15.3 फीसदी रह गया है। साल 2016 में इनका भारांश 24.1 फीसदी पर सर्वाधिक रहा था।
मारुति सुजूकी, बजाज ऑटो, हीरो मोटोकॉर्प और आयशर मोटर्स जैसी वाहन विनिर्माताओं को सबसे अधिक झटका लगा है क्योंकि निवेशक बेहतर रिटर्न की तलाश में अन्य क्षेत्रों की ओर रुख करने लगे हैं। निफ्टी50 में शामिल देश की शीर्ष छह वाहन कंपनियों का एकीकृत भारांश फिलहाल महज 4.5 फीसदी है जो करीब 2009 के बाद सबसे कम है। पिछले पांच वर्षों में सूचकांक पर इस क्षेत्र का भारांश दिसंबर 2017 में 10.3 फीसदी से घटकर लगभग आधा रह गया है जो दिसंबर 2016 के अंत में 11.9 फीसदी पर सर्वकालिक ऊंचाई पर रहा था।
एफएमसीजी कंपनियों ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन अन्य क्षेत्रों के मुकाबले उनका प्रदर्शन कमजोर रहा। हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, नेस्ले, एशियन पेंट्ïस और ब्रिटानिया जैसी प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों का निफ्टी50 में एकीकृत भारांश घटकर 10.8 फीसदी रह गया है जो दिसंबर 2019 में 11.5 फीसदी रहा था। दिसंबर 2012 के अंत में यह आंकड़ा 15 फीसदी की ऊंचाई पर रहा था।
पिछले तीन वर्षों में सूचकांक में एफएमसीजी कंपनियों की संख्या दोगुनी होने के बावजूद एफएमसीजी क्षेत्र का भारांश कम हुआ है। अब सूचकांक में इस क्षेत्र से छह कंपनियां मौजूद हैं जबकि कुछ साल पहले इनकी संख्या महज तीन थी जिनमेंआईटीसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर और एशियन पेंट्ïस शामिल हैं। परिणामस्वरूप सूचकांक में इस क्षेत्र का एकीकृत बाजार पूंजीकरण सूचकांक में शामिल सभी कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण के मुकाबले तेजी से बढ़ा है।
सूचकांक में शामिल एफएमसीजी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण दिसंबर 2016 के अंत में 5.55 लाख करोड़ रुपये था जो करीब तीन गुना बढ़कर फिलहाल 16.2 लाख करोड़ रुपये के आसपास है। हालांकि सूचकांक में भारांश की गणना कंपनी की फ्री फ्लोट (गैर-प्रवर्तक शेयरधारिता) बाजार पूंजीकरण के आधार पर की जाती है न कि कुल बाजार पूंजीकरण के आधार पर। यहां आईटीसी के कमजोर प्रदर्शन के कारण इस क्षेत्र को नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि उसके पास उद्योग में सर्वाधिक फ्री फ्लोट है।
आईटीसी में कोई प्रवर्तक नहीं है और उसकी पूरी शेयरधारिता फ्री फ्लोट है जबकि अन्य कंपनियों में प्रवर्तकों के पास अधिकांश शेयर हैं। दूसरी ओर, स्टॉक एक्सचेंज पर कमजोर प्रदर्शन के कारण वाहन कंपनियों को झटका लगा। पिछले पांच वर्षों के दौरान वाहन विनिर्माताओं के कुल बाजार पूंजीकरण में महज 8.3 फीसदी की वृद्धि हुई जकि इस दौरान निफ्टी50 में शामिल सभी कंपनियों के एकीकृत बाजार पूंजीकरण में 143 फीसदी का इजाफा हुआ। सूचकांक में वाहन विनिर्माताओं का एकीकृत बाजार पूंजीकरण फिलहाल करीब 6.47 लाख करोड़ रुपये है जो दिसंबर 2016 के अंत में 5.97 लाख करोड़ रुपये था।
विश्लेषकों के अनुसार, स्टॉक एक्सचेंज पर उपभोक्ता शेयरों में गिरावट से समग्र अर्थव्यवस्था में निजी खपत में गिरावट की झलक मिलती है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘विशेष तौर पर विवेकाधीन खपत में मामले में हाल के वर्षों में निजी खपत पर अंतिम खर्च (पीएफसीई) में कमी आई है जिसे कमजोर आय वृद्धि और कोविड-19 का झटका लगा है। इससे उपभोक्ता शेयरों की आय और प्रदर्शन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।’